जितनी तेजी से गिरा, उतनी ही तेजी से चढ़ा तापमानः जायद की तैयारी में जुटे किसान
प्रतापगढ़ (हरिश्चंद्र यादव). अप्रैल महीने में एक बार चढ़कर उतर चुका तापमान अब फिर से गोते लगाने को तैयार दिख रहा है। गुरुवार की सुबह बादलों के साए में हुई और दिनभर आसमान में सूर्यदेव और बादलों के बीच लुकाछिपी का दौर चलता रहा। तो दूसरी तरफ पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम ने एक बार फिर करवट ले ली है। उत्तराखंड के कई हिस्सों में दोपहर बाद बर्फबारी शुरू हो गई है।
यमुनोत्री और केदारनाथ में भारी बर्फबारी के साथ ठंड में इजाफा हुआ तो दूसरी तरफ समीपवर्ती राज्य यूपी के मध्यांचल में मौसम हिचकोले खा रहा है। पहाड़ों में मौसम के बदले मिजाज का यहां कितना असर होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, फिलहाल जिले का किसान रबी की फसल से खाली हुई भूमि पर जायद की तैयारी शुरू कर दी है।
गुरुवार को जनपद में न्यूनतम तापमान 22.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 36 डिग्री दर्ज किया गया। जिले में तापमान का उतार चढ़ाव अप्रैल के पहले सप्ताह से लगा हुआ है।
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12 अप्रैल से जनपद में तापमान चढ़ने लगा था। उस दिन न्यूनतम तापमान 16.7 और अधिकतम 37.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। इसके बाद चार दिन बाद ही 16 अप्रैल को यह तापमान सात डिग्री से अधिक चढ़ गया। 16 अप्रैल को न्यूनतम तापमान 23.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 41 डिग्री रिकार्ड किया गया। इसके बाद मौसम ने एक बार फिर करवट ली और तापमान इसी के इर्द-गिर्द टिका रहा।
सनई अनुसंधान केंद्र के मौसम विशेषज्ञ देशराज मीणा ने बताया कि 21 अप्रैल को न्यूनतम तापमान चढ़कर 24.5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान लुढ़ककर 37 डिग्री पर आ गया। इस दौरान मौसम में आए बदलाव का असर तापमान लगातार बना रहा। 21 अप्रैल के बाद से प्रतापगढ़ और आसपास के जनपदों में लगातार तेज हवाओं के साथ छिटपुट बरसात हुई। कहीं-कहीं भारी मात्रा में ओले भी गिरे।
बरसात और ओलावृष्टि का असर यह हुआ कि बीते मंगलवार को तापमान लुढ़ककर 16.6 डिग्री सेल्सियस (न्यूनतम) पर पहुंच गया और अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार के बाद से एक बार फिर से तापमान लगातार चढ़ रहा है। बुधवार को न्यूनतम तापमान 19.5, अधिकतम 35.8 और गुरुवार को न्यूनतम 22.5 और अधिकतम 36 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
इस दौरान चली तेज हवाओं, बरसात और ओलावृष्टि का फसलों पर कोई असर नहीं हुआ। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई, मड़ाई का अधिकतर कार्य अंतिम दौर में था। खेत खाली हो चुके थे। अब किसान जायद की फसल की तैयारी में जुट गए हैं।