गांधी जयंती पर विशेषः “प्रकृति जरूरतों की पूर्ति कर सकती है पर तृष्णा की नहीं”

“प्रकृति सभी मनुष्यों के आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति तो कर सकती है, परन्तु उनके तृष्णा की नहीं”। बापू अर्थात महात्मा का यह विचार आज की उपभोक्तावादी व पूंजीवादी विश्व के लिए एक संतुलित आदर्श नीति है, जिसने सतत् विकास की अवधारणा को मजबूती प्रदान की। गांधी जी सदैव सवहंनीय विकास के पक्षधर रहे। अर्थात एक … Continue reading गांधी जयंती पर विशेषः “प्रकृति जरूरतों की पूर्ति कर सकती है पर तृष्णा की नहीं”