अवधराज्य

कला थियेटर के मंच पर दिखी किसान की लाचारगीः ‘सवा सेर गेहूं’ से गरीबी पर प्रहार

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). गरीबी कितना लाचार बना देती है कि इंसान अपने जीवन को ही बोझ समझने लगता है और बोझ से छुटकारा पाने का माध्यम तलाश करने लगता है। “एकता” संस्था द्वारा गरीबी और लाचारी को रेखांकित करती हुई मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित नौटंकी “सवा सेर गेंहू” का मंचन कला थियेटर मुट्ठीगंज में किया गया।

इस नौटंकी में समाज की वह सच्चाई दिखाई गई, जहां गरीब इंसान हर कदम पर ठगा जाता है। लगातार शोषण और अत्याचार सहने केबावजूद वह सिर उठाकर कुछ बोल सकने की स्थिति में नहीं पहुंच पाता। मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी कहानी का नौटंकी रूपांतरण “सवा सेर गेंहू” में ऐसे ही एक गरीब किसान की कहानी है।

किसान शंकर अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ गांव में रहता है, उसका एक छोटा सा खेत है, जिसमें जी-तोड़ मेहनत कर वह खेती कर के अपने परिवार का भरण पोषण करता। एक दिन घर पर मेहमान आ जाते हैं तो वह गांव के साहूकार से सवा सेर गेहूं उधार लेता है। साहूकार बहुत चालाकऔर बेइमान है, वह भोलेभाले शंकर से एक सादे कागज पर अंगूठा लगवा लेता है।

काफी समय बीतने के बाद भी शंकर साहूकार का अनाज वापस नहीं कर पाता। साहूकार उससे अपना सवा सेर गेंहू मांगता है, किंतु शंकर कुछ दिन की और मोहलत मांगता है। कुछ और समय निकल जाने के बाद भी शंकर जब अनाज वापस नहीं करता तो साहूकार की नीयत खराब हो जाती है।

वह शंकर के खेत पर कब्ज़ा कर लेता है, साथ ही शंकर को भी बंधुआ बनाकर अपने खेत पर काम करवाने लगा। शंकर जब मेहनताना मांगता है तो साहूकार उसको मरता-पीटता। अत्यधिक मेहनत और आधा पेट भोजन पर जिंदा शंकर बीमार रहने लगा और लगातार काम करने के कारण एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती है।

नौटंकी की इन प्रसंगों को कलाकारों ने बड़ी खूबसूरती से मंच पर प्रस्तुत किया। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग पूरे समय तक नाटक सेजुड़े रहे। शंकर की भूमिका में प्रतीक श्रीवास्तव, साहूकार की भूमिका में उत्तम कुमार बैनर्जी,शंकर की पत्नी की भूमिका में मीना मिश्रा ने भावपूर्ण प्रदर्शन से दर्शकों को प्रभावित किया।

इसके साथ ही सौरभ पांडेय, धर्मेश चौबे, रवि ने भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। इस नाटक के सूत्रधार चित्ताजित मित्रा थे, प्रकाश व्यवस्था सुजॉय घोषाल, सेट निर्माण सदाशिव पांडा, वस्त्र विन्यास इफ्फत सईदा, राखी एवं नबा की थी। वाद्य यंत्रों में हारमोनियम पर अजय भट्ट, ढोलक पर शिव गुप्ता, नक्कारा पर अतुल सोनी ने संगत की। संगीत निर्देशन रुपमा कुमारी, नाट्य परिकल्पना एवं निर्देशन सुदीपा मित्रा की थी। संस्था के महासचिव जमील अहमद ने अतिथियों का स्वागत किया जबकि संस्था के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन गरिमा बनर्जी ने किया। यह जानकारी एकता के महासचिव जमील अहमद ने दी।

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