भारत

हम भारत के पढ़े-लिखे लोग, जिसे सड़क पर चलना भी सिखाना पड़ता है!

The live ink desk. 21वीं सदी के हम भारतवासी विश्व गुरु बनने का सपना देख रहे हैं। अच्छी बात है। हर किसी को आगे बढ़ने और अच्छे-अच्छे सपने देखने का हक है और देखना भी चाहिए। पर, भारत का दूसरा पहलू यह है कि हम भारतीयों को छोटी-छोटी बातें सिखानी भी पड़ती हैं। जैसे- सड़क पर कैसे चलना चाहिए। गाड़ी कैसे चलानी है। सार्वजनिक स्थान पर नहीं थूकना चाहिए। रेलवे स्टेशन पर गंदगी नहीं फैलानी चाहिए। शौच के लिए घर में बने शौचालय का प्रयोग करना चाहिए, आदि। इसी सिखाने-समझाने में प्रत्येक वर्ष सरकारों को हजारों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं, फिर भी हम समझने को तैयार नहीं।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रे वे (Delhi-Meerut-expressway) पर मंगलवार को हुए भीषण हादसे ने यह साफ कर दिया है कि हम सुधरने वाले नहीं। हमारे लिए चाहे कितना भी हाई क्लास की रोड बना दी जाए, कैसा भी इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया जाए, हम अपनी आदतों से बाज नहीं आएंगे। सबसे बड़ी बात यह कि हम न तो खुद सुधरना चाहते हैं और न ही दूसरों को सुधरने देते हैं। Delhi-Meerut Expressway पर स्कूल बस के चालक ने जिस तरह से 8-12 किलोमीटर तक गलत लेन में सफर किया और उसका अंजाम एक पूरे परिवार को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।

इन हादसों के बाद शासन-प्रशासन कुछ दिनों तक सख्ती बरतेगा, जेब ढीली होने के भय से लोग भी संभलकर चलेंगे, लेकिन हफ्ते-दस दिन बाद फिर से लोग फिर से पुराने ढर्रे पर चलने लगेंगे। भारत में होने वाले सड़क हादसों के आंकड़े पर गौर करें तो यह काफी भयावह और चौंकाने वाले हैं। वैश्विक बीमारी कोरोना से तो सभी लोग वाकिफ होंगे। कोरोना में जितनी मौतें हुई थीं, जिस पर विपक्ष ने खूब हो-हल्ला मचाया था, उससे कहीं ज्यादा मौतें सड़कों पर गलत ड्राइविंग की वजह से होती हैं। आखिर सड़क पर होने वाली इन मौतों का कौन जिम्मेदार है।

दो दिन के भीतर हुई बड़ी घटनाओं का जिक्र करें तो उसमें सबसे ताजी और बड़ी घटना उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुई, जिसमें एक बेकाबू टैंकर की वजह से टेंपो सवार 12 लोगों को अपनी जान से हाथ  धोना पड़ा। चार लोग अभी भी जीवन-मौत से जूझ रहे हैं  और दूसरा हादसा दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस पर हुआ, जिसमें दो सगे भाइयों का आठ लोगों का परिवार पूरी तरह से तबाह हो गया। आठ लोगों वाले इस परिवार में सिर्फ एक छोटा भाई और एक बच्चा बचा है। दोनों हादसों में बड़ा वाहन चलाने वाले वाहन चालक सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर हम, कब सुधरेंगे। आलोक गुप्ता।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button