वकालत से सीधे जज बनने वाले एसएम सीकरी के बाद यूयू ललित बने 49वें मुख्य न्यायाधीश
राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई पद एवं गोपनीयता की शपथ
नई दिल्ली (the live ink desk). जस्टिस उदय उमेश ललित ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ले ली। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद एवं गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति भवन में दिलाई। यूयू ललित सुप्रीम कोर्ट के 49वे मुख्य न्यायाधीश बने हैं और इस पद पर आठ नवंबर 2022 तक बने रहेंगे। जस्टिस यूयू ललित भारत के ऐसे दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं, जो सीधे प्रैक्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त हुए।
इससे पहले मरहूम जस्टिस एसएम सीकरी प्रैक्टिस की दुनिया से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इसके उपरांत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद तक पहुंचे। जस्टिस सीकरी से पहले प्रैक्टिस करने वाले किसी वकील को न तो सीधे सुप्रीम कोर्ट जज और न ही चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त किया गया था। जस्टिस एस एम सिकरी भारत के 13वें प्रधान न्यायाधीश थे। वह इस पद पर जनवरी 1971 से अप्रैल 1973 तक रहे थे। सीकरी को फरवरी 1964 में सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था।
यह भी पढ़ेंः आज ढह जाएगी 800 करोड़ से बनी भ्रष्टाचार की इमारत, खाली करवाई गई एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी
पिछले महीने सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने कहा था था कि अगर स्कूल के बच्चे सुबह 7:00 बजे स्कूल जा सकते हैं तो जज और वकील सुबह 9:00 बजे काम क्यों नहीं शुरू कर सकते हैं। जस्टिस यूयू ललित 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। इसके उपरांत में 27 अगस्त 2022 को मौजूदा चीफ जस्टिस एनबी रमन्ना की जगह पर 49वें मुख्य न्यायाधीश बने। हालांकि चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित का कार्यकाल 73 दिनों का ही होगा। वह 8 नवंबर 2022 तक अपने पद पर आसीन रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिटायरमेंट की उम्र 65 साल होती है।
यह भी पढ़ेंः ग्लोबल लीडर्स की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता
मुकदमे, जिनकी सुनवाई से जस्टिस यूयू ललित अलग हुए: इसमें मुख्य रूप से अयोध्या विवाद, मुंबई बम ब्लास्ट, मृत्युदंड की सजा को चुनौती देने वाली याकूब मेनन की पुनर्विचार याचिका, शिक्षक भर्ती घोटाले में ओम प्रकाश चौटाला की याचिका और सूर्यानेल्ली रेप केस की अपील याचिका जैसे मामले प्रमुख हैं। साल 1957 में पैदा हुए जस्टिस यूयू ललित ने 1983 में मुंबई हाईकोर्ट से अपनी वकालत की शुरुआत की उन्होंने दिसंबर 1985 तक प्रैक्टिस की। साल 1986 से 1992 तक जस्टिस यूयू ललित ने पूर्व सॉलिसिटर जनरल सोली सोराबजी के साथ काम किया है। इसके बाद अप्रैल 2004 में यूयू ललित को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट नियुक्त किया गया। बहुचर्चित 2जी घोटाले के सभी मामलों में ट्रायल चलाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया था। वकील के रूप में जस्टिस यूयू ललित को क्रिमिनल लॉ का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण यानी नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था।