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राजा दिनेश सिंह का रिकार्ड नहीं छू पाई बेटीः तीसरे पायदान पर खिसक गई थीं राजकुमारी रत्ना सिंह

प्रतापगढ़ (हरिश्चंद्र यादव). वैसे तो प्रतापगढ़ को राजे-रजवाड़ों का जिला कहा जाता है। हालांकि, हकीकत इससे कोसों दूर है। इतिहास विषय के प्रोफेसर संतोष मिश्र कहते हैं- “किसी दौर में यहां (प्रतापगढ़ में) दो रजवाड़ों की सल्तनत चलती थी, जबकि तालुकेदारी 18 से अधिक थी। वर्तमान में हम 21 सदी में जी रहे हैं और इस समय राज व्यवस्था के स्थान पर कानून व्यवस्था का राज है।“

अब बात करते हैं मेन मुद्दे की अर्थात यहां के लोकसभा चुनाव की। आजादी के बाद 1952 से 2019 तक कुल 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें कांग्रेस के टिकट पर कालाकांकर रियासत के राजा दिनेश सिंह (Raja Dinesh Singh) को चार बार यहां की जनता ने अपना रहनुमा चुना और संसद भवन में भेजा। तो दूसरी तरफ राजा दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह (Rajkumari Ratna Singh) को भी तीन बार कांग्रेस के ही टिकट पर संसद जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

प्रतापगढ़ संसदीय सीट से कांग्रेस पार्टी को दस बार जीत का सेहरा पहनने का सौभाग्य मिल चुका है। साल 1952 में प्रतापगढ़ में पहली बार आम चुनाव हुआ, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट से मुनीश्वरदत्त उपाध्याय सांसद चुने गए। साल 1957 में भी यही क्रम जारी रहा और यहां की जनता ने मुनीश्वरदत्त उपाध्याय को फिर से लोकसभा भेजा। इसके बाद साल 1962 में चुनाव हुआ। यह वही साल था, जिस वर्ष भारत और चीन के बीच अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच युद्ध हुआ था।

1962 के आम चुनाव में प्रतापगढ़ की जनता का मूड बदला और उसने कांग्रेस से पीछा छुड़ाते हुए भारतीय जन संघ के अजीत प्रताप सिंह को सांसद बनाया। हालांकि, यह दौर पूरी तरह से कांग्रेस का था। देशभर में जनसंघ को महज 14 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस 51,509,084 मत पाकर 361 सीटें जीती थी।

चूंकि, यह दौर कांग्रेस का था, लिहाजा एक बार फिर से समय ने करवट लिया और प्रतापगढ़ की सीट कांग्रेस की झोली में जाने लगी और 1967, 1971, 1984 और 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस से राजा दिनेश सिंह (Kalakankar State) यहां से जीतकर सदन पहुंचे। इस दरम्यान साल 1980 में कांग्रेस के ही टिकट पर राजा अजीत प्रताप सिंह भी सांसद चुने गए।

बहरहाल, साल 1952 से साल 2019 तक कुल 17 दफा आम चुनाव हो चुके हैं, जिसमें सर्वाधिक 10 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। 17 चुनावों में भाजपा को सिर्फ तीन बार (एक बार भारतीय जनसंघ के रूप में), जनता पार्टी को एक बार (1977 में), जनता दल को एक बार (1991), समाजवादी पार्टी को एक बार (2004 में) और एक बार भाजपा के सहयोगी अपना दल (2014 के चुनाव में) जीत का स्वाद चखने का मौका मिला।

2014 की मोदी लहर में सहयोगी अपना दल से हरिवंश सिंह ने चुनाव जीता था, जबकि 2019 के चुनाव में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा ने संगमलाल गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया था। संगमलाल गुप्ता ने कुल मतदान का 47.7 फीसद वोट पाकर जीत हासिल की और सांसद बने। 2024 के आम चुनाव में भाजपा ने फिर से संगमलाल गुप्ता पर भरोसा जताया है। तो दूसरी तरफ इंडी गठबंधन के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी ने एसपी सिंह पटेल को चुनावी रण में उतारा है।

प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट पर सर्वाधिक सात बार कालाकांकर रियासत का कब्जा रहा। चार बार राजा दिनेश सिंह (Raja Dinesh Singh) और तीन बार उनकी बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह (Rajkumari Ratna Singh) इस सीट से चुनाव जीत चुकी हैं। अब इस सीट पर कालाकांकर रियासत का दबदबा न के बराबर है। हालांकि, रत्ना सिंह (Rajkumari Ratna Singh) ने 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वह तीसरे स्थान पर खिसक गई थीं। इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रत्ना सिंह को 77,096 वोट (कुल मतदान का 8.43 प्रतिशत) मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी ने 3,18,539 वोट हासिल किया था, जो कुल मतदान का 34.83 फीसद था।

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