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दीनदयाल के “एकात्म मानववाद” में सभी समस्याओं का व्यावहारिक समाधानः केशवप्रसाद

सेवा पखवाड़ा के तहत कलेक्ट्रेट सभागार में मनाई गई पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती

समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को मुख्यधारा से जोड़ना ही अंत्योदयः गौरांग राठी

भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, पं.दीनदयाल उपाध्याय का पूरा जीवन समाजके हितों के प्रति समर्पित रहा। दीनदयाल उपाध्याय की एकात्म मानववाद जीवन और प्रकृति के प्रत्येक भाग को अपने में समाहित करने वाली एक ऐसी विचारधारा है, जो प्रत्येक कालखंड की सभी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान में प्रसांगिक सिद्ध हुई है। दीनदयाल उपाध्याय सच्चे अर्थों में कुशल राजनेता थे। समाज और दुनिया का कोई भी पक्ष उनसे कभी ओझल नहीं हुआ। सभी को एक में समाहित करना, सभी की चिंता करना और सभी को किसी न किसी स्तर जोड़ना उनके अद्वितीय सांगठनिक क्षमता का परिचायक है।

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केशवप्रसाद मौर्य कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित सेवा पखवाड़ा के तहत आयोजित जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान ‘एकात्म मानववाद’ के प्रणेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक पं दीन दयाल उपाध्याय की जयंती (25 सितंबर, 1916) पर उन्हे नमन किया। इस दौरान दीनदयाल के जीवन पर आधारित दो पुस्तको का विमोचन डिप्टी सीएम केशवमौर्य, सांसद डा. रमेश कुमार बिंद, विधायक दीनानाथ भास्कर, विपुल दुबे, जिपं अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, जिलाधिकारी गौरांग राठी और एसपी डा. अनिलकुमार ने संयुक्त रूप से किया।

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जिलाधिकारी गौरांग राठी ने पं दीनदयाल उपाध्याय को नमन करते हुए कहा, उन्होंने एकता और अखंडता को स्थापित करने के लिए सनातन भारतीयता को युगीन परिभाषा दी। वे भारत में विश्वगुरुत्व का साक्षात्कार करते थे। उनका लक्ष्य समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को विकास की धारा से जोड़ना था, उनका यही दर्शन ही अंत्योदय है।

एसपी डा. अनिल कुमार ने कहा, पंडित दीनदयाल उपाध्याय का संपूर्ण जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित रहा। यह उनके बलिदान का ही प्रतिफल है कि वर्तमान राजनीति में राष्ट्र और राष्ट्रीयता केंद्रित है। भारत के प्राचीन गौरव को पुनः प्रतिष्ठित करने का संकल्प चरितार्थ किया जा रहा है। दीनदयाल उपाध्याय के पद चिन्हों के अन्वेषण एवं अनुश्रवण में ही भारत के भव्य भविष्य की सुदृढ़ भूमिका सन्निहित है।

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