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10000 में करते थे एक यूनिट खून का सौदा, 128 यूनिट ब्लड के साथ दर्जनभर तस्कर गिरफ्तार

बेली अस्पताल के ब्लड बैंक की जाली आठ रसीदबुक, 350 ब्लड बैग की स्लिप, 20 ब्लड बैग, 85 ब्लड सैंपल वॉयल बरामद

तस्करी की लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर की गई जांच, जार्जटाउन पुलिस ने सरगना शानू समेत सभी को दबोचा

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). सात से 10 हजार रुपये में एक यूनिट खून बेचने वाले गिरोह का जार्जटाउन पुलिस (Georgetown Police) ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने खून की तस्करी करने वाले गिरोह के सरगना शान मोहम्मद समेत कुल दर्जनभर अभियुक्तों (smugglers arrested) को गिरफ्तार किया है। इनके पास से खून निकलवाने में इस्तेमालकी जाने वाली कार, 128 यूनिट खून (128 units of blood) समेत जाली आठ रसीदबुक, 350 ब्लड बैग की स्लिप, 20 ब्लड बैग, 85 ब्लड सैंपल वॉयल बरामद बरामद किया गया है।

पूछताछ के बाद धरे गए खून के तस्करों शान मोहम्मद उर्फ शानू (झूंसी, हालपता अल्लापुर), मो. इमरान (झूंसी), हनीफ उर्फ फिरोज (झूंसी), संदीप उर्फ दीप (महेवा, नैनी), दिनकर त्रिपाठी (लखेसर शाहपुर, सिकरारा, जौनपुर), प्रभाकर पटेल (मुस्तफाबाद, सरायइनायत), रजनीश कुमार (गद्दोपुर, महाराजगंज, जौनपुर), आशीष यादव (तवंकलपुर, सोरांव), विमलेश यादव (रामदास पट्टी, बिहार, प्रतापगढ़), विशाल पाठक व सचिन यादव (देवरिया, कप्तानगंज, आजमगढ़) और फर्जी रसीद छापने वाले अनिल मिश्र (बाई का बाग, कीडगंज) को जेल का रास्ता दिखा दिया गया है।

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उक्त खुलासे की जानकारी देते हुए एसपी सिटी ने बताया कि जार्जटाउन थाने की पुलिस टीम ने सरगना शान मोहम्मद उर्फ शानू को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की, जिसमें उसके द्वारा फैलाए गए नेटवर्क का पता चला। बताया कि शान मोहम्मद मूलरूप से झूंसी का है, लेकिन वह अल्लापुर में किराए पर रहता था। उससे हुई पूछताछ के बाद, उसी की निशानदेही पर अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की गई।

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पूछताछ में सरगना ने बताया कि वह और उनका गिरोह पैसे के जरूरतमंदों, गरीब, नशेड़ियों के खोजकर उनका खून निकलवाया था, इसके एवज में प्रति यूनिट 1500 रुपये का लालच देता था। खून निकलवाने के बाद बेली अस्पताल के ब्लड बैंक की फर्जी स्लिप चस्पा कर इसे तीमारदारों-मरीजों को सात से 10 हजार रुपये में बेच देता था।

शान नेबताया कि वह फर्जी रसीद और स्लिप गिरोह के सदस्य अनिल कुमार मिश्र (बाई का बाग) के प्रिंटिंग प्रेस में छपवाते थे। जबकि अन्य सदस्य डोनर और खरीदने वालों का इंतजाम करते थे। 

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पूछताछ में पता चला कि गिरोह का तस्कर दिनकर कुछ दिन तक मेडिकल के क्षेत्र में काम कर चुका है। वह अपनी जान-पहचान का इस्तेमाल करते हुए खून को स्टोर करने के लिए ब्लड बैग आगरा से मंगवाता था। एसपी सिटी ने बताया कि नियमत: ब्लड बैग स्वीकृत संस्था को ही दिया जाना चाहिए, लेकिन खून के सौदागरों ने अपनी जान-पहचान का फायदा उठाकर ब्लड बैग का भी इंतजाम कर रखा था, इसी वजह से खून खरीदने वाले लोग कभी शक नहीं करते थे।

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