‘सब खताएं रफा-दफा कर लें, उसके महबूब से वफा कर लें’
इकबाल अकादमी हाल में सजी नातिया महफिल, पढ़े गए कलाम
पैगंबर-ए-इस्लाम की शख्सियत और तालीम पर हुआ बयान
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की शान में नातिया मुशायरे दुवाइयां की महफिल सजाई गई। करेली जमीरनगर स्थित इकबाल एकेडमी हाल में आयोजित महफिल में नातिया कलाम के साथ पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शख्सियत पर रोशनी डाली गई। शायर आरिफ जलालपुरी ने पैगंबर साहब की जिंदगी को पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी बताया।
कहा कि ‘आपकी आमद से पहले दुनिया जिलाहत के अंघेरे में डूबी हुई थी। आपकी आमद से दुनिया में सभी को उनका हक मिला’। वरिष्ठ अधिवक्ता हसीन अहमद ने सुनाया ‘सब खताएं रफा दफा कर लें, उसके महबूब से वफा कर लें, मक्का वाला माफ कर देगा, जा मदीने में इल्तेजा कर ले’। वरिष्ठ शायर डा. असलम इलाहाबादी ने कहा ‘जो दिखाते थे कभी रास्ते वही रास्तों से भटक गए, कभी बांटते थे जो रोशनी वही काफिले हैं गुबार में’।
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शायर परवेज अख्तर अंसारी ने पढ़ा कि ‘करते हैं बेजुबान भी फरियाद आप से, मखलूक-ए-कायनात के सरदार आप हैं’, को खूब सराहना मिली। तश्ना कानपुरी ने पढ़ा, ‘तसस्वुर में बसाई जब से मैंने उसकी सूरत है, खुदा शाहिद है मेरे सामने जन्नत ही जन्नत है। सहाल उद्दीन ‘सलाह’ का शेर ‘लबों पर सलाम आ गया, मेरे रब का पयाम आ गया’, पढ़ा। संचालन कर रहे बख्तियार यूसुफ ने कलाम पेश कर वाहवाही लूटी।
इसके अलावा अख्तर अजीज, असद गाजीपुरी, हसीन जीलानी, आदिल हसन सहित अन्य शायरों ने भी कलाम पेश किए। स्वागत इकबाल आकदमी के सदर पूर्व अपर महाधिवक्ता कमरूल हसन सिद्दीकी ने किया। कार्यक्रम में डा. नजिम अहमद, असरार नियाजी, सरफराज हुसैन, महमूद अहमद, अब्दुल रशीद खान, रियाज सिद्दीकी, तलत महमूद, सैयद नसीम सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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