बरसात के सीजन में ग्रामीणों के मददगार बने सर्पमित्र राजेंद्र विश्वकर्मा और रामचंद्र
प्रतापगढ़ (हरिश्चंद्र यादव). बरसात का सीजन काफी नाजुक होता है। निचले एरिया में पानी भर जाता है। जमीन पर रहने वाले छोटे जीव-जंतुओं का प्राकृतिक आवास पानी में डूब जाता है। ऐसे में वह अपना आवास छोड़कर ऊंचाई वाले स्थानों पर भागते हैं। ऐसे में अक्सर उनका सामना इंसानों से हो जाता है। इंसानों के सामने आने पर खुद की रक्षा में कभी-कभी जहरीले जीव हमला भी कर देते हैं, जिसमें जनहानि भी हो जाती है।
इस समय हो रही बरसात के कारण सांप, बिच्छू समेत कई प्रकार के विषैले जीव-जंतु अपना प्राकृतिक आवास छोड़ चुके हैं। ऐसे में जब भी कोई जहरीला जीव लोगों को दिखता है तो लोगों अपने इलाके के उस सर्पमित्र को खोजते हैं जो ऐसे जीवों को पकड़ने और उन्हे सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने में माहिर होते हैं।
जिले की लालगंज तहसील में भी ऐसे ही एक सर्पमित्र हैं राजेंद्र विश्वकर्मा। ग्रामसभा धारूपुर के रहने वाले राजेंद्र विश्वकर्मा ने सोमवार को ग्रामसभा पुरबारा में एक विषैले जीव को पकडा, जिसे गंवई भाषा में बिषखोपड़ी कहा जाता है।
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राजेंद्र विश्वकर्मा कहते हैं किबरसात के दिनों में उन्हे रोजाना एक-दो स्थानों पर जहरीले जीवों को आबादी के बीच से निकालकर जंगली एरिया में छोड़ने के लिए जाना पड़ता है। राजेंद्र विश्वकर्मा के ही सहयोगी रामचंद्र हैं, जो जहरीले जीवों के काटने पर आयुर्वेदिक औषषि पिलाते हैं। पुरबारा ग्रामसभा के रहने वाले रामचंद्र श्रीवास्तव की भी बरसात के दिनों में काफी डिमांड रहती है।
रामचंद्र श्रीवास्तव की आयुर्वेदिक दवा जहरीले जीव-जंतुओं के काटने पर असर तो करती है, इसके साथ रामचंद्र यह भी कहते हैं कि जहरीले जीव-जंतु के काटने पर सबसे पहले लोगों अस्पताल जाना चाहिए। नजदीकी अस्पताल में उपचार बहुत जरूरी है।
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