पूर्वांचल

जब ट्रांसफार्मर खराब था तो मोटर और स्टार्टर कैसे बदल दिया!

छह महीने से बंद पड़ा है कुसौड़ा गांव का ट्यूबवेल, विद्युत और सिंचाई विभाग एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

सुरियावां/भदोही (राजकुमार सरोज). रबी की बुवाई के सीजन में सिंचाई और विद्युत विभाग आपस में झगड़ रहे हैं। कारण है कुसौड़ा गांव के सरकारी ट्यूबवेल (नंबर 352) का न चलना। पिछले छह माह से यह ट्यूबवेल बंद है। एक बड़े भूभाग की सिंचाई नहीं हो पा रही है। शिकायत, अफसरों तक पहुंची तो विद्युत विभाग ने ट्रांसफार्मर बदल दिया, इसके बाद भी पानी नहीं मिला तो सिंचाई विभाग ने नलकूप की मोटर बदल दी, काम नहीं बना तो उसके बाद स्टार्टर भी बदल दिया। फिर भी पानी नहीं निकला। अब, समस्या फिर से वहीं पहुंच गई है, जहां से शुरू हुई थी।

सिंचाई विभाग का कहना है कि अब ट्रांसफार्मर खराब है। यहां लाख टके का सवाल यह है कि जब ट्रांसफार्मर ही खराब है तो कुछ समय पहले क्या बदला गया था। और, ट्रांसफार्मर सही है तो नलकूप की मोटर और स्टार्टर क्यों चेंज किया गया। उत्तर प्रदेश में सरकारी सिस्टम कैसे कार्य करता है, उपरोक्त प्रकरण यह समझने के लिए काफी है।

विभागाध्यक्ष को न तो किसी बात का भय है और न ही विभागीय इंजीनियर कार्य करने के इच्छुक। यह सबकुछ आम जनता और किसानों को गोल-गोल घुमाने के लिए ही है। एक बहाना बना दो, जनता कुछ दिन शांत रहेगी। और, फर्जी इस्टीमेट और बिल बनाने का भी रास्ता साफ हो जाएगा।

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फिलहाल, सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से सैकड़ों एकड़ की खेती प्रभावित हो रही है। नलकूप नहीं चलने के लिए सिंचाई विभाग व  विद्युत विभाग, दोनों एक दूसरे पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि बीते 22 नवंबर को ट्रांसफॉर्मर बदला गया था। उसके बाद भी ट्यूबेल नहीं चला। इसके बाद नलकूपकी मोटर बदली फिर स्टार्टर भी बदला जा चुका है।

अब पुन: सिंचाई विभाग कह रहा है कि ट्रांसफार्मर खराब है। लाइन सही नहीं दे रहा है। जबकि विद्युत विभाग के कर्मी बता रहे हैं कि मोटर में खराबी है। पानी नहीं मिलने से एक बड़े भूभाग पर पलेवा नहीं हो पाया है। किसानों का कहना है कि रबी की बुवाई की प्रत्येक सीजन में इसी तरह के हालात बना दिए जाते हैं।

यहां सवाल, यह नहीं है कि नलकूप में क्या खराब है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि विभाग के पास इतने काबिल इंजीनियर भी नहीं है कि वह यह जांच-परख कर सकें कि खराबी ट्रांसफार्मर में है या फिर मोटर में। कुशावलनाथ सेवा समिति के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव द्वारा मुख्यमंत्री समेत उच्चाधिकारियों से दर्जनों बार शिकायत की गई। जहां से सूचना मिलती है कि समस्या का समाधान कर दिया गया है, जबकि ट्यूबवेल आज तक चला ही नहीं। ग्रामसभा में लगे दूसरे ट्यूबवेल का भी बोर भ्रष्ट होने के कारण दोनों सरकारी नलकूप बंद पड़े हैं।

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