पूर्वांचल

इस तरह नर्सरी लगाने से खेत में लहलहाएगी धान की फसल, मुनाफा भी बढ़ेगा

कृषि विज्ञान केंद्र बेजवा के कृषि प्रसार विशेषज्ञ ने किसानों को दिए सुझाव

नर्सरी वाले खेत में संतुलित मात्रा में उर्वरक के इस्तेमाल और बीजशोधन की सलाह

भदोही (विष्णु दुबे). इस समय नौतपा का सीजन चल रहा है। किसान भाई धान की नर्सरी डालने की तैयारी में हैं। इसके मद्देनजर कृषि विज्ञान केंद्र बेजवा के कृषि प्रसार विषेषज्ञ डा. आरपी चौधरी ने किसानों को धान की खेती की आधुनिक विधियों को अपनाने की सलाह दी है।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ धान की नर्सरी से अधिक एवं गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है। नर्सरी का तात्पर्य ऐसे भूभाग से है, जो  खरपतवार एवं रोग से मुक्त। आवश्यक पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा में सतत् आपूर्ति होती रहे। धान की नर्सरी डालते समय मुख्य तकनीकी बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। बताया कि एक हेक्टेयर धान की रोपाई के लिए नर्सरी लगभग 800 वर्ग मीटर (6.5 बिस्वा) क्षेत्रफल में होनी चाहिए।

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बीज दर एक हेक्टेयर क्षेत्रफल की रोपाई के लिए महीन एवं बासमती धान 16-20 किग्रा, मध्यम धान 25 किग्रा, मोटा धान 30 किग्रा और ऊसर धान 40 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। कहा कि नर्सरी क्षेत्र के लिए प्रति बिस्वा 1.5 से 2 कुंटल साड़ी गोबर की खाद, 2.25 किग्रा डाई (DAP), 1.9 किग्रा यूरिया, 800 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश और 200 ग्राम जिंक सल्फेट बुवाई से पूर्व नर्सरी खेत में मिला दें। नर्सरी डालने से पूर्व बीज शोधन अवश्य करें।

जीवाणु, झुलसा, झोंका, शीथ झुलसा इत्यादि के बचाव के लिए 25 किग्रा धान के बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन (streptocycline) और 60 ग्राम कार्बेंडाजिम 40 लीटर पानी में मिलाकर 12 घंटा के लिए बीज को भिगो दें। दूसरे दिन बीज को पानी से निकालकर 24 घंटे के लिए छायादार स्थल पर जूट के बोरे से ढक कर रख देते हैं।

तत्पश्चात अंकुरित धान बीज को तैयार किए गए नर्सरी  में शाम के समय अंकुरित बीज की बुवाई कर देते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के दो-तीन दिन के अंदर प्रेटिलाक्लोर 16 ग्राम प्रति बिस्वा की दर से बालू में मिलाकर उचित नमी की अवस्था में प्रयोग करें, साथ ही साथ बीज बोने के 10 दिनों के अंदर ट्राइकोडरमा 10 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करते रहना चाहिए।

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