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भारत–इथियोपिया के रिश्ते दो हजार वर्ष पुरानेः नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने इथियोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को किया संबोधित, कहा- यह रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय

The live ink desk. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत और इथियोपिया के बीच संबंध दो हजार वर्ष पुराने हैं और अब दोनों देशों ने इन्हें रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक ले जाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री अपनी तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में इथियोपिया पहुंचे हैं।

बुधवार को इथियोपिया की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और इथियोपिया के रिश्तों में जलवायु और भावनाओं—दोनों में गर्मजोशी है। उन्होंने बताया कि भारतीय कंपनियां इथियोपिया में सबसे बड़े निवेशकों में शामिल हैं और विभिन्न क्षेत्रों में पांच अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर चुकी हैं, जिससे 75 हजार से अधिक रोजगार सृजित हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण के उभार का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया अब अतीत में अटकी व्यवस्थाओं से आगे बढ़ने की मांग कर रही है। उन्होंने क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और संपर्क के क्षेत्र में इथियोपिया को भारत का स्वाभाविक मित्र बताया। उन्होंने कहा कि इथियोपिया अफ्रीका का प्रवेश द्वार है, जबकि भारत हिंद महासागर के केंद्र में स्थित है, जो दोनों को स्वाभाविक साझेदार बनाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में यह भी रेखांकित किया कि भारत और इथियोपिया के राष्ट्रगीतों में धरती को मां के रूप में देखा गया है, जो दोनों सभ्यताओं की गहरी सांस्कृतिक समानताओं को दर्शाता है। उन्होंने इथियोपिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रेट ऑर्डर ऑफ इथियोपिया’ प्रदान किए जाने पर आभार जताया।

उन्होंने कहा कि बीते 11 वर्षों में भारत और अफ्रीका के रिश्तों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भारत के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे ने सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने के तरीके को बदल दिया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने 150 से अधिक देशों को दवाएं और वैक्सीन उपलब्ध कराईं, जिनमें इथियोपिया को दी गई 40 लाख वैक्सीन खुराक भी शामिल हैं।

इतिहास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अदीस और धोलेरा जैसे बंदरगाह केवल व्यापारिक केंद्र नहीं थे, बल्कि सभ्यताओं के बीच सेतु थे। उन्होंने 1941 का जिक्र करते हुए बताया कि भारतीय सैनिकों ने इथियोपिया की आजादी के लिए वहां के लोगों के साथ मिलकर संघर्ष किया था।

प्रधानमंत्री ने संसद भवन की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यही वह स्थान है, जहां कानून बनते हैं और जनता की सहमति राज्य की इच्छा का रूप लेती है। जब जनता और राज्य की इच्छाएं एक दिशा में होती हैं, तभी विकास की गति तेज होती है। अपने संबोधन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने इथियोपियाई सांसदों से मुलाकात भी की।

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