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EWS कोटे पर सुप्रीम अदालत ने लगाई मुहर, मिलता रहेगा गरीबों को आरक्षण

नई दिल्ली (the live ink desk). सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस (EWS ) कोटे के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था को जायज ठहराया है। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने 3:2  के बहुमत से संवैधानिक करार दिया। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पदरीवाला ने बहुमत के पक्ष में फैसला दिया, जबकि सीजेआई ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने संविधान के 103वें संशोधन और बहुमत के फैसले पर असहमति जताई है।

संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा ईडब्ल्यूएस कोटे से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं हुआ है। इसी के साथ उक्त प्रकरण में दाखिल की गई विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया गया। सुप्रीम अदालत ने अपने फैसले में कहा, EWS कोटा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 50 फीसद कोटा को बाधित नहीं करता है। EWS कोटे से सामान्य वर्ग के गरीबों को फायदा होगा। EWS कोटा कानून के समक्ष समानता, धर्म,जाति, वर्ग या फिर लिंग के आधार पर रोजगार केअवसर मेंअधिकार काउल्लंघन नहीं करता है।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में ईडब्ल्यूएस (EWS) कोटे की वैधता को चुनौती देने वाली 30 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यों की संविधान पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही थी। इसी क्रम में आज संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया।

मालूम हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने यह व्यवस्था लागू की थी और इसके लिए 103वां संविधान संशोधन किया था। 2019 में लागू किए गए ईडब्ल्यूएस कोटा को तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी डीएमके समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने इसे संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद साल 2022 में संविधान पीठ का गठन किया गया और 13 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस रविंद्र भट्ट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पादरी वाला की संविधान पीठ ने सुनवाई शुरू की।

उल्लेखनीय है कि ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत केंद्र सरकार द्वारा मिलने वाले 10 परसेंट आरक्षण को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था और कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी आज इस पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा।

 

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