लखनऊ. उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में मंगलवार दोपहर बाद हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या देर शाम तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। जिलाधिकारी हाथरस ने 50-60 लोगों के मौत की अनुमानित जानकारी दी है। जबकि एटा जनपद में भी पोस्टमार्टम के लिए 27 शव ले जाए गए हैं। इसकी सूचना एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह ने मीडिया को दी है।
इस हादसे के बाद से ही लखनऊ से लेकर हाथरस तक हड़कंप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। इन सबके बीच दिलचस्प यह है कि जिस तथाकथित भोले बाबा के नाम पर गैर जनपदों से इतनी बड़ी भीड़ सत्संग स्थल (फुलराई, सिकरामऊ) पर जुटी थी, वह कहीं नजर नहीं आया। कुल मिलाकर वह मौके से फरार हो गया। इतने बड़ी भीड़ जुटाने वाले आयोजक भी नहीं दिखे और न ही किसी का बयान सामने आया।
अलग-अलग मीडिया में आ रही रिपोर्ट के मुताबिक मृतकों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है। घायलों को हाथरस के अलावा समीपवर्ती जनपदों, मेडिकल कालेज एटा में भर्ती करवाया गया है। इस हादसे के बाद सबसे बड़ा संकट शवों की पहचान का होगा। जिन श्रद्धालुओं केसाथ कोई रहा होगा, उसकी पहचान तो हो जाएगी, लेकिन जो अकेले ही आए होंगे, उनकी पहचान में समय लग सकता है।
फिलहाल, हाथरस जिला प्रशासन के साथ-साथ राज्य स्तरीय अधिकारी राहत-बचाव कार्य में डट गए हैं। हाथरस के जिलाधिकारी ने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच के लिए शासन स्तर से हाईलेव कमेटी गठित कीजा रही है। उक्त आयोजन की परमीशन संबंधित उपजिलाधिकारी के द्वारा दी गई थी, जिसमें सत्संग स्थल के बाहर की सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासनिक इंतजाम थे,लेकिन सत्संग पंडाल केअंदर आयोजकों के द्वारा खुद का इंतजाम किया गया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में तथाकथित भोले बाबा का सत्संग आयोजित था। सत्संग समाप्त होने के बाद जैसे भी भीड़ निकलने लगी, भगदड़ मच गई। भगदड़ में महिलाएं और बच्चे भीड़ के पैरों के नीचे आ गए। इस हादसे में घायल हुए श्रद्धालुओं को इलाज के लिए मेडिकल कालेज एटा भेजा गया है, जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी उमेश त्रिपाठी के साथ स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक टीम लगी हुई है।
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