पीएम नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को की थी शुरुआत, अब तक 53.13 करोड़ बैंक खाते। आधे से अधिक खाते महिलाओं के नाम, इन खातों में जमा हैं 2.3 लाख करोड़ रुपये
The live ink desk. प्रधानमंत्री जन-धन योजना को दस बरस पूरे हो गए हैं। 28 अगस्त, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना में देश की आधी से अधिक आबादी को बैंक और सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा।
बिचौलियों और दलालों की संख्या घटी। आम आदमी तक योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचने लगा। अकेले उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस समय उत्तर प्रदेश में 94,550,249 जन-धन खाते संचालित किए जा रहे हैं। इन खातों में 48,757.32 करोड़ रुपये जमा हैं। यह खाते गांव के गरीबों, किसानों को डायरेक्ट बैंकिंग सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
पीएम जनधन योजना के दस साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सीएम योगी आदित्यनाथ ने योजना को सफल बनाने के लिएदेशवासियों का आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट में कहा कि जन-धन योजना ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और करोड़ों लोगों, विशेषकर महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सम्मान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस योजना में 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। योजना के तहत खोले गए कुल खातों में से 55 प्रतिशत खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं।
अब तक खोले गए 53.13 करोड़ बैंक खाते
पीएम मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को जन-धन योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत अबतक 53.13 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं, जिसमें 2.3 लाख करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में तीन करोड़ से अधिक और जन-धन खाता खोलने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि 28 अगस्त, 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना आज सफलतापूर्वक अपने क्रियान्वयन का एक दशक पूरा कर रही है। पीएमजेडीवाई (PMZDY) दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल है।
55.6 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक और किफायती पहुंच आवश्यक है। यह गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा में एकीकृत करता है और हाशिS पर पड़े समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि 67 फीसदी खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, जबकि 55 फीसदी खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं।
36 करोड़ से अधिक RuPay कार्ड जारी
वित्तमंत्री ने कहा कि बैंक खाते, छोटी बचत योजनाएं, बीमा और ऋण सहित सार्वभौमिक, सस्ती और औपचारिक वित्तीय सेवाएं प्रदान करके पीएम जन-धन योजना ने पिछले एक दशक में देश के बैंकिंग और वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है। इस पहल की सफलता 53.13 करोड़ लोगों को जन-धन खाते खोलने के माध्यम से औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाने में परिलक्षित होती है। इन बैंक खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि जमा हुई है। इसके परिणामस्वरूप 36 करोड़ से अधिक निशुल्क RuPay कार्ड जारी किए गए हैं, जो दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान करते हैं।
जन-धन योजना से डिजिटल भुगतान बढ़ा
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि जनधन-मोबाइल-आधार को जोड़ने के माध्यम से बनाई गई सहमति-आधारित पाइपलाइन वित्तीय समावेशन पारिस्थितिकी तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रही है। इसने पात्र लाभार्थियों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का त्वरित, निर्बाध और पारदर्शी हस्तांतरण संभव बनाया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है। कहा, पीएमजेडीवाई (PMZDY) केवल एक योजना नहीं है, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन है, जिसने बैंकिंग सेवाओं से वंचित कई लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान की है।
यूपीआई से 13,113 करोड़ का लेन-देन
वित्त मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 36.06 करोड़ से अधिक रुपे (RuPay) डेबिट कार्ड जारी किए गए। 89.67 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना हुई, इससे डिजिटल लेन-देन बढ़ा और वित्त वर्ष 2018-19 में 2,338 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 16,443 करोड़ का लेन-देन हुआ।
यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2018-19 में महज 535 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 13,113 करोड़ हो गई। इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे (RuPay) कार्ड के जरिए लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 96.78 करोड़ हो गई।