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टीवी पर शकुनि मामा का किरदार जीवंत करने वाले गूफी पेंटल का निधन

The live ink desk. 80 के दशक में टीवी पर दुर्योधन के मामा (शकुनि मामा) का किरदान जीवंत करने वाले गूफी पेंटल (Goofy Paintal) का सोमवार को निधन हो गया। वह 78 वर्ष के थे। महाभारत में नेगेटिव किरदार के बावजूद गूफी पेंटल देश के हर घर में अपनी पहचान रखते थे। महाभारत में उनके द्वारा जिया गया प्रत्येक क्षण आज भी लोग याद करते हैं। दिग्गज कलाकार के निधन से मनोरंजन की दुनिया में भी शोक की लहर है।

बताया जाता है कि गूफी पेंटल काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज चल रहा था। इसी बीच सोमवार को हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। गूफी पेंटल के भतीजे हितेन ने ‘शकुनि मामा’ के निधन की जानकारी मीडिया को दी। शकुनि मामा (Shakuni Mama) के निधन का समाचार जैसे ही मनोरंजन जगत में पहुंचा, शोक संवेदना जताने वालों की कतार लग गई। तमाम चाहने वाले उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं।

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1980 के दशक में बीआर चोपड़ा के मशहूर धारावाहिक महाभारत अपने समय में खूब सराहा गया था। सप्ताह में एक बार इसका प्रसारण किया जाता था। उस दौर में बहुत कम घरों में टीवी हुआ करती थी, बावजूद इसके महाभारत को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटती थी। गूफी पेंटल महाभारत के अलावा कुछ फिल्मों व धारावाहिक में नजर आए थे। पर, उनकी पहचान महाभारत के शकुनि मामा वाले रोल की ही मिलती थी।

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गूफी पेंटल ने 1975 में ‘रफू चक्कर’ से हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। इसके बाद 80 के दशक में वह कई फिल्मों और धाराविहक में नजर आए। हालांकि, अभिनेता के रूप में गूफी पेंटल को असल पहचान 1988 में बीआर चोपड़ा के सुपरहिट धारावाहिक ‘महाभारत’ से मिली। इसमें शकुनि मामा का किरदार निभाकर वह शकुनि मामा के रूप में अमर हो गए। अपने करियर में गूफी पेंटल अकबर बीरबल, सीआईडी, राधा-कृष्णा में भी अहम भूमिका निभाई। गूफी ने आखिरी बार स्टार भारत के सीरियल जय कन्हैया लाल की, में काम किया था।

अभिनय में आने से पहले गूफी पेंटल आर्मी में थे। एक साक्षात्कार के दौरान गूफी पेंटल ने खुद के करियर का लेखाजोखा साझा किया था। उन्होंने सेना के जवान से लेकर शकुनि मामा बनने तक की कहानी बताई। उन्होंने कहा था, “1962 में जब चीन-भारत युद्ध छिड़ा था, तब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। युद्ध के दौरान भी कॉलेज में सेना की भर्ती चल रही थी। मैं हमेशा सेना में शामिल होना चाहता था। सेना में पहली पोस्टिंग चीनी सीमा पर आर्टिलरी डिवीजन में हुई थी

सीमा पर मनोरंजन के लिए टीवी और रेडियो नहीं था, इसलिए हम (सेना के जवान) सीमा पर रामलीला करते थे। मैं राम लीला में सीता का रोल करता था और एक शख्स रावण के वेश में स्कूटर पर आया और मेरा अपहरण कर लिया। मुझे पहले से ही एक्टिंग का शौक था इसलिए इसने मुझे थोड़ी ट्रेनिंग दी।” साल 1969 में अपने छोटे भाई कंवरजीत पेंटलके कहने पर गूफी पेंटल मुंबई पहुंचे और अभिनय के क्षेत्र में प्रवेश किया।

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