दो दिवसीय SCO शिखर सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर होगी चर्चा, आज रवाना होंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली (the live ink desk). उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO summit) को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद (Uzbekistan city Samarkand) में 15 और 16 सितंबर को SCO की बैठक होने जा रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India Narendra Modi) 15 और 16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन एससीओ के शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए उज्बेकिस्तान (UZbekistan) में होंगे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति और चीन (China) के राष्ट्रपति (President) मुलाकात होगी और भी कई देशों के राष्ट्र अध्यक्षों से प्रधानमंत्री का मिलने का कार्यक्रम है।
जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को ही उज्बेकिस्तान के लिए रवाना होंगे। विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) के मुताबिक पीएम मोदी SCO परिषद के राष्ट्र प्रमुखों के साथ होने वाली 22वीं बैठक के लिए उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव के निमंत्रण पर यह दौरा कर रहे हैं। SCO शिखर सम्मेलन 2022 उज्बेकिस्तान के समरकंद में होगा। माना जा रहा है कि इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन से होने वाली मुलाकात पर सबकी निगाहें रहेंगी। शिखर सम्मेलन से इतर भी पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय बैठक होने की उम्मीद है।
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क्या है Shanghai Cooperation Organisation: शंघाई सहयोग संगठन (shanghai cooperation organisation) की स्थापना साल 2001 में हुई थी। रूस, चीन, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान ने मिलकर शंघाई में इसकी स्थापना की थी। यह संगठन मुख्य रूप से क्षेत्रीय मुद्दे सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और विकास के मामलों पर फोकस करता है। भारत 2005 में शंघाई शिखर सम्मेलन में पर्यवेक्षक बना और 2017 में पाकिस्तान के साथ सदस्यता प्राप्त की। मौजूदा शिखर सम्मेलन में रूस और यूक्रेन के बीच चल रही भीषण लड़ाई भी इसके प्रमुख एजेंडे में शामिल होगी।
रूस द्वारा यूक्रेन पर किया गया हमला, जिसके बाद उत्पन्न हुए भू राजनीतिक संकट पर भी चर्चा होने की संभावना है। अब तक हुए युद्ध में दोनों ही पक्षों को काफी क्षति हुई है। इस जंग की वजह से पूरी दुनिया में खाद्य संकट गहरा गया है। रूस और यूक्रेन में बड़ी मात्रा में गेहूं की पैदावार होती है। पीएम मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति मिलकर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ युद्ध के मसले पर कुछ अहम वार्ता और ठोस पहल कर सकते हैं। इसके अलावा मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार को लेकर भी चर्चा हो सकती है। आतंकवाद के मसले पर भी चर्चा होने की संभावना है।
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SCO के आठ स्थायी सदस्य देश चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान है। मौजूदा समय में शंघाई सहयोग संगठन दुनिया में एक बहुत प्रभावी शक्तिशाली और कुशल क्षेत्रीय संगठन बनकर उभरा है। इसकी शिखर वार्ता में करीब 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और तीन बड़ी बहुराष्ट्रीय संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस संगठन में चार पर्यवेक्षक देश अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया समेत कुछ मेहमान प्रतिनिधियों को भी बुलाया जाता है।
साल 1996 में पांच सदस्य देशों ने इसकी शुरुआत शंघाई इनीशिएटिव के तौर पर की थी। उस समय उनका यही मकसद था कि मध्य एशिया के नए आजाद हुए देशों के साथ लगती रूस और चीन की सीमाओं पर कैसे तनाव और संघर्ष को रोका जाए और इन सीमाओं का विवाद भी निपटाया जाए। यह मकसद सिर्फ 3 साल में ही हासिल कर लिया गया। इसी वजह से इस संगठन को काफी प्रभावी माना जाता है। अपने उद्देश्य पूरे करने के बाद उज्बेकिस्तान को संगठन में जोड़ा गया और 2001 में एक नए संस्थान की तरह शंघाई को ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन हुआ।
इससे पहले यह सम्मेलन 2019 में किर्गिस्तान के बिश्केक में फिजिकल रूप में आयोजित किया गया था। वर्तमान समय में शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता उज्बेकिस्तान कर रहा है। यह सम्मेलन उज्बेकिस्तान के शहर समरकंद में आयोजित होगा। समरकंद उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद से 300 किलोमीटर की दूरी पर है। इस बार के सम्मेलन में बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा और गत दो दशकों में किए गए कार्यों की समीक्षा भी की जाएगी। भारत 2023 के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा और अध्यक्ष पद ग्रहण करेगा।