The live ink desk. धरती पर जितने भी बाघ (Tiger) हैं, उनमें से 70 प्रतिशत का ठिकाना अर्थात घर, भारत है। आज विश्व बाघ दिवस (world tiger day) मनाया जा रहा है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर भी है। बाघ को देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है।
सदियों से वन्य जीव और उनके प्रवास का संरक्षण भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है। करुणा और सह अस्तित्व के सिद्धांत के साथ हमारे वेदों में भी वन्य जीव के संरक्षण (protection of wildlife) की बातें कही गई हैं।
भारत सरकार, बाघों के संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वह न सिर्फ अपने बाघों को बचा रही है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) और अपने वनों को भी सुरक्षित कर रही है।
केंद्र सरकार बाघों के संरक्षण के लिए, उनके सुरक्षित बसेरे के लिए अपनी प्रतिबद्धता साबित भी कर रही है। इसी प्रतिबद्धता का प्रतिफल है कि हमारे देश में ही बाघों के लिए एक ऐसा इको-सिस्टम तैयार हुआ, जिसकी बुनियाद पर बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी।
साल 2006 में भारत में बाघों की कुल संख्या 1411 थी, जबकि चार साल में बढकर यह संख्या 1706 हो गई। इसके बाद अगले चार साल में संख्या में काफी तेजी से इजाफा हुआ और 2014 में यह गिनती 2226 हो गई। यानी 2006 से 2010 के बीच में जहां लगभग 300 बाघ बढ़े, वहीं 2010 से 2014 के बीच में यह बढ़त 500 के ऊपर चली गई।
इसके बाद साल 2018 में बाघों की संख्या में 700 से अधिक का इजाफा हुआ और यह संख्या 2967 हो गई। जबकि अगले पांच साल यानी 2023 में कुल बाघों की संख्या 3682 हो गई है।
दुनियाभर के सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जहां पर बाघ (Tigers) पाए जाते हैं। बाघ संरक्षण को प्रोत्साहित करने और घटती संख्या को लेकर 29 जुलाई, 2010 में रूस (Russia) के सेंट पीटर्सबर्ग (St. Petersburg) में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन (conference) में 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया।
बाघ या फिर जंगली प्रजाति की सभी छोटी-बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने साल 1969 में भारत से सभी प्रकार के स्किन (जंगली बिल्लियों की खाल) के निर्यात पर बैन लगाया। इसके बाद साल 1972 में वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्शन एक्ट को प्रभावी किया गया। अगले ही साल यानी 1973 में भारत में टाइगर प्रोजेक्ट को लांच किया गया।
2006 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन किया गया, जबकि 2010 में वैश्विक बाघ दिवस मनाया गया। मौजूदा समय में विश्वभर में कुल बाघों की संख्या के सापेक्ष 70 फीसद बाघ भारत में मौजूद हैं। टाइगर्स के संरक्षण के लिए भारत में कुल 54 टाइगर्स रिजर्व हैं और इनमें से 23 रिजर्व ऐसे हैं, जिन्हे सीए-टीएस (CA/TS) की मान्यता प्राप्त है।
गौरतलब है कि CA/TS उन मानदंडों को सूचीबद्ध करता है, जो बाघ स्थलों (टाइगर रिजर्व) को यह आकलन करने की अनुमति देते हैं कि उनका प्रबंधन बाघ संरक्षण को बढ़ावा देगा या नहीं। इसे 2013 में लांच किया गया था और इसे ग्लोबल टाइगर फ़ोरम द्वारा लागू किया गया है। यह बाघों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय मंच है।