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भारत में हो रही मीठी क्रांतिः शहद निर्यात में 257 फीसद का उछाल, अमेरिका सबसे बड़ा खरीदार

नई दिल्ली (the live ink desk). कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलावों के दौर से गुजर रहा भारत निर्यात के क्षेत्र में भी नये-नये कीर्तिमान गढ़ रहा है। मीठी क्रांति देश के शहद उत्पादकों की झोली भर रही है। मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ‘मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)’  की परिकल्पना साकार हो रही है और आज भारतीय शहद की डिमांड दुनियाभर के देशों में है। भारत से नेचुरल शहद के निर्यात ने अप्रैल-जुलाई 2022 में  साल 2013 की तुलना में 257% की बढ़ोत्तरी दर्ज की है। इससे भी दिलचस्प बात यह है कि भारतीय शहद की डिमांड अमेरिका में सबसे ज्यादा है।

प्रधानमंत्री ने मन की बात में किया था जिक्रः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी ‘मन की बात‘ कार्यक्रम में शहद के आयुर्वेदिक महत्व और इसकी जरूरत का जिक्र कर चुके हैं।  पीएम ने कहा था, आयुर्वेद में शहद को बहुत महत्व दिया गया है। शहद को अमृत के रूप में वर्णित किया गया है। उन्होंने कहा था कि आज शहद उत्पादन में इतनी संभावनाएं हैं कि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अध्ययन करने वाले युवा भी इसे स्वरोजगार का माध्यम बना रहे हैं। गौरतलब हो कि बाजार में शहद और मोम की मांग काफी अधिक है।

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कोरोनाकाल में बढ़ी प्राकृतिक शहद की डिमांडः भारत में मधुमक्खी का पालन सदियों से होता आया है, लेकिन इसका ज्यादातर इस्तेमाल घरेलू स्तर पर ही किया जाता रहा है। वर्ष 2014 के बाद सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत और निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में जो प्रयास किया, उसका परिणाम अब हम सभी के सामने आने लगा है। और, शहद की विशेषताओं का ज्यादा पता कोविड-19 महामारी के दौरान चला, इसके बाद प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में दुनिया भर में शहद की डिमांड और खपत बढ़ गई।

अमेरिका शहद का सबसे बड़ा खरीदारः कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) का लक्ष्य अब नये देशों में शहद के निर्यात को बढ़ावा देना है। वर्तमान में  भारत का प्राकृतिक शहद निर्यात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के बाजार पर निर्भर है। अमेरिका हमसे शहद के कुल निर्यात का 80 फीसद का खरीदार है। इसमें अमेरिका ने 59,262 मीट्रिक टन का एक बड़ा हिस्सा लिया। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, नेपाल, मोरक्को, बांग्लादेश और कतर ने भारतीय शहद खरीदा।

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भारत से 2012-22 में शहद निर्यातः 2012-22 में 74,413 मीट्रिक टन (एमटी) प्राकृतिक शहद का निर्यात किया है, जिसका मूल्य 16 करोड़ 37 लाख 30 हजार अमेरिकी डालर है। बता दें कि भारत ने वर्ष 1996-97 में अपना पहला संगठित निर्यात शुरू किया था। वहीं वर्ष 2020 में  वैश्विक शहद निर्यात 7.36 लाख मीट्रिक टन दर्ज किया गया था। भारत शहद उत्पादक और निर्यातक देशों में क्रमशः 8 वें और 9वें स्थान पर था। 2020 में, कुल शहद उत्पादन 16 लाख 20 हजार  मीट्रिक टन आंका गया था और  जिसमें सभी  पराग (नेक्टर) स्रोतों, कृषि उपजों, वन्य पुष्पों और वन्य वृक्षों से निकाला गया शहद शामिल था।

मीठी क्रांति योजना किसानों की मददगारः शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत का एक हिस्सा है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) के लिए तीन साल (2020-21 से 2022-23) की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी है। इसके जरिए मीठी क्रांति योजना के तहत किसानों को एक लाख रुपये तक वित्तीय सहायता दी जाती है। इसमें राज्य सरकार द्वारा 80,000 रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। 20,000 रुपये का राशि का निवेश किसानों द्वारा खुद से करना होता है। मीठी क्रांति योजना के जरिए राज्य के किसान सालाना एक लाख रुपये तक की कमाई कर सकेंगे। इसके अलावा मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान है।

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शहद के प्रकार और उत्पादन का क्षेत्रः देश में कई प्रकार की शहद का उत्पादन किया जाता है, इसमें रेप्सीड / सरसों की शहद, नीलगिरी शहद, लीची शहद, सूरजमुखी शहद, करंज/ पोंगमिआ शहद, मल्टी-फ्लोरा हिमालयी शहद, बबूल शहद, जंगली वनस्पति शहद, मल्टी और मोनो फ्लोरा शहद आदि प्राकृतिक शहद की कुछ प्रमुख किस्में हैं। देश में शहद का उत्पादन उत्तरी पूर्वी भाग और महाराष्ट्र में प्रमुखता से किया जाता है। देश  में उत्पादित किए गए शहद का लगभग 50 प्रतिशत घरेलू स्तर पर खप जाता है और अवशेष 50 फीसद हिस्सा विश्व के अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाता है

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