The live ink desk. ऋषियों-मुनियों की तपोभूमि (हमारा भारत) कई मायनों में बेहद खास है। यह हर किसी को अपना लेती है और उसका संरक्षण करती है। बड़ी बिल्लियों की प्रजाति वाले बाघ भी इन्हीं में से एक हैं। बाघ की एक विलुप्त उप प्रजाति के डीएनए से पता चला है कि बाघ के पूर्वज मध्य चीन से भारत आए थे। वे जिस रास्ते से भारत आए थे, कई शताब्दियों बाद इसी रास्ते को रेशम मार्ग (The Silk Road) के नाम से जाना गया।
आज, दुनियाभर में जितने भी बाघ (Tiger) हैं, उनमें से 75 प्रतिशत का ठिकाना अर्थात घर, भारत की सरजमीं है। दुनियाभर में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस (world tiger day) मनाया जाता है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर भी है। बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है। सदियों से वन्य जीव और उनके प्रवास का संरक्षण भारत की संस्कृति (culture of india) का हिस्सा रहा है। करुणा और सह अस्तित्व के सिद्धांत के साथ हमारे वेदों में भी वन्य जीव के संरक्षण (protection of wildlife) की बातें कही गई हैं।
भारत सरकार, बाघों के संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। वह न सिर्फ अपने बाघों को बचा रही है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) और अपने वनों को भी सुरक्षित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी बाघों के संरक्षण के लिए, उनके सुरक्षित बसेरे के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं। आज उसी प्रतिबद्धता का प्रतिफल है कि हमारे देश में ही बाघों के लिए एक ऐसा इको-सिस्टम तैयार हुआ, जिसकी बुनियाद पर बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी।
दुनिया (World) भर के सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं, जहां पर बाघ पाए जाते हैं। बाघ संरक्षण को प्रोत्साहित करने और घटती संख्या को लेकर 29 जुलाई, 2010 में रूस (Russia) के सेंट पीटर्सबर्ग (St. Petersburg) में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन (conference) में 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया। वर्ष 2006 में हुई गणना में भारत में बाघों की कुल संख्या 1411 थी, जो 2019 में बढ़कर 2967 हो गई थी। बाघों के सबसे अनुकूल बसेरे भारत में बाघों की संख्या बढ़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह संकल्प से सिद्धि का बेहतरीन उदाहरण है। जब भारत के लोग कुछ पाने का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो उसे प्राप्त करने से कोई रोक नहीं सकता है।
2020 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर (Prakash Javedkar) ने बाघों पर एक रिपोर्ट “स्टेटस ऑफ़ टाइगर्स – कोप्रिडेटर्स एंड प्रेय इन इंडिया” (status of tigers) जारी की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि 2006 में देश में बाघों की कुल संख्या 1411 थी। 2010 में यह 1706 हुई और फिर 2014 में और बढ़कर 2226 पहुंच गई। यानी 2014 से 2018 के बीच देश में बाघों की संख्या 2226 से बढ़कर 2967 तक पहुंच गई। वैश्विक बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर बाघों की गणना पर विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए जावेड़कर ने कहा था कि,- ‘भारत में अब दुनिया के 70% बाघ जंगल में पाए जाते हैं। बाघ प्रकृति का एक अहम् हिस्सा हैं और भारत में इनकी बढ़ती हुई संख्या प्रकृति के संतुलन को दर्शाती है।’
भारत में बाघों के लिए शुरुआत में नौ टाइगर रिजर्व (tiger reserve) थे, जिसकी संख्या आज 53 हो गई है। बाघों की जनगणना के अनुसार देश में इस समय अनुमानित 2967 बाघ हैं। यह संख्या, वैश्विक बाघों की कुल संख्या का 75% है। भारत में राज्य वार बाघों की संख्या (2018 तक) आंध्र प्रदेश में 48, अरुणाचल प्रदेश में 29, असम में 190, बिहार में 31, छत्तीसगढ़ में 19, गोवा में 3, झारखंड में 5, कर्नाटक में 524, केरल में 190, मध्य प्रदेश में 526, महाराष्ट्र में 312, ओडिशा में 28, राजस्थान में 91, तमिलनाडु में 264, उत्तर प्रदेश में 173, उत्तराखंड में 442 और पश्चिम बंगाल में कुल 88 बाघ गिने गए थे।
भारत के दो सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में नागार्जुनसागर श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश) 3296.31 वर्ग किलोमीटर और मानसी (असम) 3150.92 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दुधवा (Dudhwa) और पीलीभीत (Pilibhit) दो टाइगर रिजर्व हैं। तमाम संकटों के बावजूद उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व में विगत चार साल में बाघों की संख्या दोगुनी हुई है। साल 2014 में पीलीभीत में महज 25 बाघ थे। जबकि 2018 में यह संख्या 65 हो गई थी। पीलीभीत टाइगर रिजर्व एक तरह से अब सेचुरेटेड हो गया है।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (Wildlife Institute of India) की रिपोर्ट के मुताबिक बीते आठ सालों में बाघों का वन क्षेत्र 1803 वर्ग किलोमीटर घट गया है। 2006 में यह 93697 वर्ग किलोमीटर था, जबकि 2014 में यह 92164 वर्ग किलोमीटर रह गया।
गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा समय में बाघ संरक्षण के लिए देश में कई ठोस कदम उठा रहा है और विश्व को भी इसके लिए प्रेरित और उत्साहित कर रहा है। आज विश्व इसके लिए भी भारत की तरफ आशा के साथ देख रहा है और भारत की नीतियों, सोच एवं उसके कार्यों को क्रियान्वित कर रहा है। आने वाले समय में भारत ही नहीं, दुनियाभर के देशों से बाघ के लिए उत्साहित करने वाली खबर आएगी।