माघ मेला में निहारिए 1794 में रची गई पांडुलिपिः रामकथा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ आयोजन की श्रृंखला में राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय, संस्कृति विभाग एवं ओंकार सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में रामकथा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। माघ मेला क्षेत्र के सेक्टर तीन में अन्नपूर्णा मार्ग पर ओंकार सेवा समिति के पंडाल में आयोजित प्रदर्शनी का शुभारंभ मंगलवार को स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी (टीकरमाफी, आश्रम) ने किया।
प्रदर्शनी में राजकीय पाण्डुलिपि पुस्तकालय में संरक्षित रामचरित्र मानस की चित्रित पाण्डुलिपि पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। प्रदर्शनी में कुल 40 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। इस पांडुलिपि को हिंदी एवं अवधी से मिलती जुलती भाषा में इसे सन 1794 में लिखा गया है।
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स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने कहा कि रामचरित मानस की चौपाइयों में वेद संनिहित है। निश्चय ही इस प्रदर्शनी के अवलोकन से व्यक्ति अपने जीवन की यात्रा बदल सकता है। इन चरित्र चित्रण का मनन करने से हम राम नाम में लीन हो सकते है, जो कि इस माघ मेला का परम उद्देश्य है।
पाण्डुलिपि अधिकारी गुलाम सरवर, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी रामनरेश पाल और ओंकार सेवा समिति के डा. अरूण कुमार त्रिपाठी एवं डा. बीके सिंह ने प्रदर्शनी के संबंध में अतिथियों को जानकारी प्रदान की। गुलाम सरवर ने बताया कि यह प्रदर्शनी 19 जनवरी तक जनसामान्य के अवलोकनार्थ खुली रहेगी। प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम में हरिश्चंद्र दुबे, राकेश कुमार वर्मा, विकास यादव, अजय, सफीक मौजूद रहे।