अवध

पत्रकार और साहित्यकार में भेद नहीं, दोनों लेते हैं साहित्य का सहारा: डा. भृगु कुमार

श्रृंगवेरपुर साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का द्वितीय स्थापना दिवस समारोह

प्रयागराज (अनिल मिश्र). श्रृंगवेरपुर साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, श्रृंगवेरपुर धाम के तत्वावधान में डा. अनिल कुमार मिश्र लिखित पुस्तक ‘ग्रामीण पत्रकारिता सरोकार और सवाल’ पर विस्तृत परिचर्चा हुई।

श्रृंगवेरपुर साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के दूसरी वर्षगांठ पर श्रृंगवेरपुर धाम के पर्यटन अतिथि गृह में ग्रामीण पत्रकारिता सरोकार और सवाल विषय पर  चर्चा करते हुए मुख्य वक्ता हुए डा. भृगु कुमार मिश्र ने कहा, शहरी लोग गांव से कुछ न कुछ लेने आते हैं, लेकिन आज गांवों की छवि भिखारी की बन गई है, जबकि गांव दाता है। उन्होंने कहा कि अकादमी के माध्यम से आने वाले वर्षों में यहां की उत्कृष्ट खबरों को संग्रहित कर पुस्तक का स्वरूप दिया जाएगा, ताकि भविष्य में वह संदर्भ के रूप में उपयोग में आ सके।

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अध्यक्षता करते हुए श्रृंगवेरपुर प्रेस व पत्रकार परिषद के महामंत्री ज्याउस्सलाम कुद्दूसी ने कहा कि ग्रामीण पत्रकारिता का कार्य चुनौतियों भरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह अखबार का इंतजार रहता है, क्योंकि किसी भी घटनाक्रम की वह पुष्टि करता है। अकादमी के दूसरी वार्षिकी महाशिवरात्रि पर आयोजित समारोह में भाग लेते हुए संस्था के संरक्षक राजमणि शास्त्री ने कहा श्रृंगवेरपुर साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का विस्तार कला, योग और संगीत तक फैला हुआ है।

अनेक धार्मिक उद्धरणों द्वारा श्रृंगवेरपुर की महत्ता बताते हुए शास्त्री ने यहां की विद्वत परंपरा को नमन किया और साहित्य और पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों का अभिनंदन किया।  journalist डा. अनिल ने अपनी पुस्तक ‘ग्रामीण पत्रकारिता सरोकार और सवाल’ पर विचार रखते हुए कहा, यह पुस्तक पत्रकार ( journalist) बंधुओं के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता के रूप में डा. भृगु कुमार मिश्र ने अकादमी के उद्देश्य और क्षेत्र विस्तार पर चर्चा करते हुए बताया कि साहित्यकार और पत्रकार में भेद नहीं है, दोनों ही समाज की सेवा के लिए अपने अपने तरीके से साहित्य का ही सहारा लेते हैं। डा. अनिल की पुस्तक पर कहा, सभी पत्रकार जमीन से जुड़े होने के नाते ग्रामीण अंचल के ही होते हैं। पुस्तक में एक विद्वान का उदाहरण देते हुए लिखा है कोई भी समाचार, जो ग्राम से जुड़ा रहता है, वही समाचार एक विस्तार फलक को पा सकता है। बशर्ते उसको सही मंच से सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए।

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डा. अनिल कुमार मिश्र ने अपनी पुस्तक का परिचयात्मक विवरण प्रस्तुत किया और कहा, छह अध्यायों में विस्तारित यह ग्रंथ शोध काल में ग्रामीण पत्रकारिता पर आधारित पुस्तकों के अभाव में बहुत ही मुश्किल से संपन्न हो सका। अंतिम अध्याय में अनेक ग्रामीण पत्रकारिता के उद्भट विद्वानों का साक्षात्कार सम्मिलित है। ‘हिंदुस्तान’ समाचार पत्र के संपादक प्रताप सोमवंशी का आमुख में लिखा यह वाक्य गांव के लोगों को शक्ति प्रदान करता है कि  ‘गांव का सम्मान रहे वह अपनी शक्ति को पहचाने,’। ग्रामीण पत्रकार खुद को प्रयोग धर्मी समझें। सभी आए हुए अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का धन्यवाद करते हुए पत्रकार गोपाल पांडेय ने डा. अनिल की पुस्तक के प्रति अपनी शुभेच्छा व्यक्त की। समारोह की अध्यक्षता ज्याउस्सलाम कुद्दूसी एवं संचालन अशोक कुशवाहा और अमित द्विवेदी ने किया। इस दौरान रामबाबू मौर्य, शेष नारायण द्विवेदी, मो. असलम, कौशल कुशवाहा, डबलू मौर्य, प्रदीप मिश्र, पप्पू पांडेय आदि प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

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