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श्रीमनकामेश्वर धाम लालापुर महोत्सव के चौथे दिन जुटी भक्तों की भारी भीड़
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). श्रीमनकामेश्वर धाम लालापुर महोत्सव के चौथे दिन महान दानवीर राजा बलि की मनमोहक झांकी प्रस्तुत की गई। कथावाचिका बाल विदुषी प्रभु प्रिया ने श्रीहरि के वामन अवतार की मनमोहक कथा सुनाई। कथावाचिका प्रभु प्रिया ने कहा, राजा बलि के पिता का नाम विरोचन और मां का नाम विशालाक्षी था। राजा बलि का जन्म श्रीहरि के अनन्य भक्त प्रह्लाद के कुल में हुआ था, लेकिन दैत्य होने के कारण उसके अंदर अहंकार भी ज्यादा था। इसके साथ-साथ वह भगवान विष्णु का भक्त भी था।
राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य की मदद से 100 अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाया। 99वें यज्ञ का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। यदि वह 100वां यज्ञ भी बिना किसी बाधा के पूरी कर लेता तो वह इंद्र के पद पर हमेशा हमेशा के लिए आसीन हो जाता। राजा बलि के इस कार्य से देवताओं में भय व्याप्त हो गया। इसके बाद इंद्र समेत सभी देवतागण भगवान विष्णु की शरण में गए और धर्म की रक्षा के लिए सहायता मांगी।
प्रभु प्रिया ने बताया कि पूरी जानकारी होने पर भगवानविष्णु ने धरती पर अवतार लेने का निर्णय लिया और उन्होंने बटुक अवतार (वामन अवतार) लेकर राजा बलि के समक्ष यज्ञशाला में पहुंच गए। चूंकि राजा बलि ब्राह्मण को अपने दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटाता था, इसलिए उसने यज्ञ शुरू करने से पहले दान देने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद भगवान ने राजा बलि से तीन पग जमीन मांग ली। राजा बलि ने बटुक अवतार में दरवाजे पर आए ब्राह्मण को दान देने का संकल्प ले लिया।
इसके बाद भगवान ने अपना आकार बढ़ाया और एक पग में संपूर्ण पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। अब तीसरा पगरखने को जगह नहीं बची तो राजा बलि ने अपना शीश बटुक अवतार में दरवाजे पर आए श्रीहरि के समक्ष प्रस्तुत कर दिया।
इसके उपरांत कथावाचिका प्रभु प्रिया ने श्रीकृष्ण के जन्म की कथा विस्तार पूर्वक सुनाई। कंस, आकाशवाणी, देवकी और बासुदेव के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए सविस्तार समझाया कि कृष्ण का जन्म कैसे हुआ। वह देवकी के पास से माता यशोदा के पास कैसे पहुंचे। कथा शुरू होने से पूर्व आयोजक सूर्यनिधान पांडेय ने परिवार के साथ विधिवत पूजा अर्चना की और कथा समापन के पश्चात आरती हुई। सभी लोगों में प्रसाद वितरण किया गया। महोत्सव के बीसवें सोपान का आयोजन पांच अप्रैल से 11 अप्रैल तक किया जा रहा है। 11 अप्रैल को विवाह और हवन-पूजन के साथ महोत्सव का समापन किया जाएगा। इस मौके पर अखिलेश दुबे, तेजबली सिंह, नरेंद्र सिंह, सुधा गुप्ता, संतराम गुप्ता, सचिन वैश्य, अनुपमा वैश्य, सुरेशजी, ओम शांति, दिलीप केसरवानी, मुकेश पाठक, नेहा सिंह, उमा वर्मा, दीपक केसरवानी समेत तमाम भक्तगण मौजूद रहे।