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World Menstrual Hygiene Day: नुक्कड़ नाटक ‘रजस्वला’ ने दूर की झिझक, जागरुक हो रहीं बेटियां

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). आज, 28 मई को World Menstrual Hygiene Day है। मासिक अर्थात माहवारी एक ऐसा शब्द या टापिक है, जिसे समाज में आज एक टैबू की तरह लिया जाता है। इसी झिझक को दूर करने के लिए नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान प्रयागराज के कलाकारों का दल पिछले 22 मई से प्रयासरत है। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक के जरिए मासिक धर्म पर लोगों को जागरुक किया जा रहा है। नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान के कलाकारों द्वारा बहरिया, मऊआइमा, बहादुरपुर, सैदाबाद, मांडा, उरुआ, कोरांव, शंकरगढ़, मेजा और जसरा में नुक्कड़ नाटक “रजस्वला 2.0” का मंचन किया।

कृष्ण कुमार मौर्य द्वारा निर्देशित और नीतीश कुशवाहा द्वारा संयोजित नुक्कड़ नाटक में कलाकारों ने माहवारी पर खुलकर बात की और आसपास की महिलाओं, किशोरियों को समझाया कि मासिक धर्म कोई अभिशाप नहीं, बल्कि एक वरदान है। यह एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। जिस पर घर और समाज में खुलकर बात की जानी चाहिए। इसके लिए हमें एक माहौल बनाना होगा और पुरानी परंपरागत सोच को बदलना होगा। माहवारी के दौरान स्वच्छता एक अहम हिस्सा है। इस दौरान बरती गई सावधानियां और साफ-सफाई महिलाओं को स्वस्थ रखेंगी और विश्वास बढ़ाएंगी।

 Menstrual Hygiene Day: माहवारी सामान्य शारीरिक प्रक्रिया, खुलकर बात करना फायदेमंद

नुक्कड़ नाटक के दौरान कलाकारों ने बताया कि पहले के जमाने में माहवारी पर कोई भी खुलकर बात नहीं करता था। यहां तक कि किशोरियों को अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया के बारे में समय से पहले बताया ही नहीं जाता था, तो उनके मानसिक रूप से तैयार होने और स्वच्छता बनाए रखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उल्टा उस स्थिति में उनसे, यह मत करो, वह मत करो, मंदिर मत जाओ, अचार मत छुओ, एक जगह बैठो, ऐसा सब कहा जाता था। जो बहुत ही अजीब और बुरा लगता है। हालांकि, आज के दौर में इन टैबू पर काफी हद तक लगाम लग चुका है। गांव-देहात की महिलाएं मासिक धर्म को लेकर आज भी भ्रांति में जी रही हैं, उनमें न तो जागरूकता है और न ही इससे होने वाली बीमारियों के बारे में पता है।

नुक्कड़ नाटक के दौरान नुक्कड़ नाट्य अभिनय संस्थान के महिला कलाकारों ने न सिर्फ ग्रामीण महिलाओं के सेनेटरी पैड के इस्तेमाल की जानकारी दी, बल्कि उसे नष्ट करने का तरीका भी सुझाया। इस अभियान में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों ने भी अपनी जिम्मेदारी को समझा।

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नुक्कड़ नाटक देखने के बाद कई ग्रामीणों ने बताया कि हम तंबाकू और गुटखा में काफी पैसा खर्च कर देते हैं, जबकि इस पर होने वाले खर्च से भी कम खर्च में हमारे घर की महिलाएं स्वस्थ और सुरक्षित रह सकती हैं। अभी तक हम अशिक्षित थे और उन्हें समझ नहीं पा रहे थे, यह चुप्पी तोड़ने का समय है।

माह में दो बार आती है हंस फाउंडेशन की एंबुलेंसः नुक्कड़ नाटक मंचन के दौरान ‘द हंस फाउंडेशन, प्रयागराज’ की टीम अपने प्रत्येक ब्लॉकों में अपने मोबाइल मेडिकल यूनिट यानी एंबुलेंस के साथ में कैंप लगाया और  नुक्कड़ नाटक के बाद महिलाओं, किशोरियों के स्वास्थ्य की जांच की और उनकी बीमारियों को ध्यान रखते हुए इलाज किया जा रहा है। बताते चलें कि द हंस फाउंडेशन की एंबुलेंस गांव में प्रत्येक 15 दिन के बाद आती है और ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों की इलाज निशुल्क करती है। नुक्कड़ नाटक के अंत में किशोरियों को सेनेटरी पैड वितरित किया गया।

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29 मई तक चलाया जाएगा जागरुकता अभियानः ग्रामीण अंचल के लोगों को मासिक धर्म विषय पर जागरूक करने का अभियान 29 मई तक चलेगा। नुक्कड़ नाटक में शामिल होने वाले कलाकारों का कहना है कि इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का काफी सहयोग मिल रहा है। इससे लोग जागरुक हो रहे हैं। लोग बेबाकी से अपनी समस्याओं को बताकर उसका निराकरण भी पूछते हैं। कलाकारों में हेमलता साहू, कुमुद कनौजिया, प्रिंसु सिंह, तनु सोनकर, पिंटू प्रयाग, कनिष्क सिंह, कौस्तुभ पांडेय, प्रदीप कुमार के अलावा द हंस फाउंडेशन से प्रत्यक्ष पांडेय, अभय कुमार और चंद्रभूषण मौजूद रहे। अंत में कृष्ण कुमार मौर्य ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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