सोमवार से होगा शोहदाए करबला की याद में ग़म के महीने का आग़ाज़
28 ज़िलहिज्जा सोमवार को दरियाबाद इमामबाड़ा अरब अली खां से निकलेगा इस्तेक़बाल-ए-अज़ा का जुलूस
दरियाबाद, रानीमंडी, करेली, रोशनबाग़ आदि मोहल्लों से उठने वाले सभी मातमी जुलूस परंपरागत तरीके से उठेंगे
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). करबला के शहीदों की याद में दो माह, आठ दिन तक मनाए जाने वाले ग़म के महीने का आग़ाज़ वैसे तो चांद की तस्दीक के बाद ही होगा, लेकिन 17 जुलाई, सोमवार को इस्तेक़बाल-ए-अज़ा का पहला जुलूस दरियाबाद स्थित इमामबाड़ा अरब अली खां से रात्रि 8:30 बजे निकाला जाएगा। शहज़ेब असग़र की निज़ामत में हैदर ज़ैदी बिट्टू भाई की सोज़ख्वानी से मजलिस का आग़ाज़ होगा, तो खिताबत ज़ाकिर ए अहलेबैत अशरफ अब्बास खां साहब मजलिस को खिताब करेंगे।
उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि गुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार, अंजुमन हैदरी दरियाबाद, अंजुमन असग़रिया दरियाबाद, अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा दरियाबाद, अंजुमन हुसैनिया क़दीम दरियाबाद नौहा और मातम का नज़राना पेश करेंगे। इसी प्रकार एक मोहर्रम को रात्रि 10 बजे बड़े घर की मजलिस के बाद अज़ाखाना सैय्यद फरहत अली दरियाबाद में सालाना मजलिस होगी, जिसमें रेयाज़ मिर्ज़ा व शुजा मिर्ज़ा की सोज़ख्वानी व ज़ाकिर ए अहलेबैत मौलाना अशरफ़ अब्बास खान साहब मजलिस को खिताब करेंगे। मजलिस के बाद शबीहे ज़ुलजनाह निकाला जाएगा और अंजुमन हाशिमया नौहा और मातम का नज़राना पेश करेगी।
अंजुमनों ने शुरू किया अभ्यासः खानदाने रिसालत के साथ चौदह सौ साल पहले इराक़ के करबला में घटित घटना की याद में मनाए जाने वाले दो माह और आठ दिनों तक जुलूसों शब्बेदारी व मजलिसों में पढ़ें जाने वाले नौहों की तैयारी मातमी अंजुमने कर रही हैं। शायरों से नौहा लिखवाने और उसे तर्ज़ धुन लय देने के बाद मंज़रे आम पर पेश करने को शहरभर की दो दर्जन से अधिक मातमी अंजुमनों द्वारा अपने नौहाख्वानों व हमनवा साथियों के साथ मश्क़ यानि अभ्यास जारी है।
इमामबाड़ों में किया गया रंग-रोगनः नौहों को अंतिम रूप देकर अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया की ओर से रोशनबाग़ स्थित नासिर ज़ैदी के अज़ाखाना पर मजलिस हुई, जिसमें अंजुमन के सदस्यों को पहली बार नौहे की धुन व लय से अवगत कराया गया।
मोहर्रम शुरु होने में अब चंद दिन ही बचे हैं, ऐसे में अज़ादारी के पुश्तैनी सिलसिले को क़ायम रखते हुए हर तरफ इमामबाड़ों को साफ- सुथरा व रंग-रोगन के साथ अलम के पंजों को कलई कराने और साल भर से रखे अलम के पटकों को दुरुस्त करने के साथ तैयारी की जा रही है।