बीबी करो न शिकवा की हम लुट के आए हैं…
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). क़ैद ए शाम से असीराने करबला के लुटे हुए क़ाफिले की याद में माहे रबीउल अव्वल की एक से आठवीं रबीउल अव्वल तक लगातार मजलिसें शब्बेदारी व जुलूस ए अज़ा में यादे हुसैन मनाया जा रहा है। ज़ाकिर शहादत ए इमाम हुसैन के बाद खानदाने रिसालत के असीरी की दास्ताँ बयान कर रहे हैं तो मातमी अंजुमने असीराने करबला के साथ किस तरहा बीबीयों, बीमारे नातवाँ हज़रत ज़ैनुल आबेदीन व जनाबे सकीना पर यज़ीदी सेना द्वारा ढ़ाए गए मज़ालिम की दास्ताँ को नौहों की शक्ल में पढ़कर लोगों को रोने पर मजबूर कर रहे हैं।
करेली में समर अब्बास शमसी सेवइत की ओर से असीराने करबला की याद में जुलूस ए अज़ा निकाला गया। काज़िम अब्बास ने सोज़ख्वानी तो डा. नायाब बलयावी ने पेशख्वानी के फराएज़ अंजाम दिए। मौलाना अम्मार ज़ैदी साहब क़िबला ने मजलिस को खेताब किया। अंजुमन गुंचा ए क़ासमिया ने नौहों और मातम की सदाओं के साथ जुलूस निकाला, जो करेली की गलियों में गश्त करते हुए खत्म हुआ। जुलूस में ताबूत व अलम भी निकाला गया।
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नौहाख्वानों शादाब ज़मन, अस्करी अब्बास, यासिर ज़ैदी, ज़हीर अब्बास, ऐजाज़ नक़वी, कामरान रिज़वी, अली रज़ा रिज़वी, अकबर रिज़वी, ज़ीशान बांदवी, ज़ीशान भदौरवी, शबीह रिज़वी, हैदर मेंहदी, कुमैल, रज़ा, वसीम आदि ने नौहा पढ़ा। बीबी करो ना शिकवा की हम लुट के आए हैं… हमको असीर करके फिराया वहां-वहां… न महरमों की भीड़ लगी थी जहां-जहां…बीबी करो न शिकवा की हम लुट के आए हैं। नौहों के एक-एक बंद पे अज़ादार आँखों में अश्क भरकर गिरयाओ बैन करते रहे। वहीं दरियाबाद, रानीमंडी, करैलाबाग़, बख्शीबाज़ार आदि जगहों पर मजलिस मातम की सदाओं से माहौल ग़मज़दा व संजीदा बना रहा। जुलूस में रिज़वान जव्वादी, हैदर अली, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, आसिफ रिज़वी, समर अब्बास शम्सी, अख्तर अब्बास, मसूद अब्बास, अज़मी सेवइत, नजमुल हुसैन, आसिफ रज़ा, असग़र अली, महमूद अब्बास, बाशू भाई, ज़ैग़म अब्बास नक़वी, लख्ते असग़र, आरज़ू हैदर, समन अब्बास, अली रिज़वी, अहमर रिज़वी, शजीह अब्बास, ज़ामिन हसन, मिर्ज़ा दानिश, मिर्ज़ा शीराज़़, मिर्ज़ा वसमी, सज्जाद नक़वी, आसिफ नक़वी, ईशान आदि शामिल रहे।