समय पर नहीं हो पाई मेजा ऊर्जा निगम के एफजीडी प्लांट की कमीशनिंग
बिना डीसल्फराइजेशन के ही चिमनी से हो रहा है फ्ल्यू गैस का उत्सर्जन
प्रयागराज (हरिप्रताप सिंह). मेजा ऊर्जा निगम (Meja Urja Nigam) में फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन प्लांट (एफजीडी) की एंटीसिपेटेड (प्रत्याशित) कमीशनिंग (Commissioning) समय पर न हो पाने के कारण यहां विद्युत उत्पादन कर रही 660 मेगावाट की 2 इकाइयों से निकलने वाली फ्ल्यू गैस बिना डीसल्फराइज किए ही चिमनी के जरिए उत्सर्जित की जा रही है। एफजीडी प्लांट-1 (FGD Plant-1) की कमीशनिंग सितंबर, 2022 में प्रत्याशित थी, लेकिन सितंबर माह बीत गया और प्रत्याशित समय पर कमीशनिंग (Commissioning) नहीं हो पाई। फ्ल्यू गैस डीसल्फराइजेशन प्लांट-2 (FGD Plant-2) की कमीशनिंग का प्रत्याशित समय भी नवंबर 2022 है, जो कि बहुत ही नजदीक है। निर्माण कार्य पूरा न हो पाने के कारण एफजीडी प्लांट-2 (FGD Plant-2) की भी प्रत्याशित समय पर कमीशनिंग कर पाना टेढ़ी खीर है।
प्रत्याशित समय पर एफजीडी प्लांट-1 की कमीशनिंग (Commissioning) न कर पाने से ठेकेदार कंपनी जीई प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड (GE Project India Limited) के अधिकारियों सहित एफजीडी निर्माण कार्य की देखभाल कर रहे मेजा ऊर्जा निगम (Meja Urja Nigam) के अधिकारी भी अपनी कार्य क्षमता और प्रबंधन कुशलता के बेहतर प्रदर्शन से वंचित रह गए।
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बता दें कि यहां स्थापित 660 मेगावाट (660 MW) की 2 इकाइयों में पहली इकाई 30 अप्रैल 2019 से और दूसरी इकाई 31 जनवरी 2021 से विद्युत उत्पादन कर रही है। दोनों इकाइयों से निकलने वाली फ्ल्यू गैस से सल्फर डाई आक्साइड गैस को डीसल्फराइज करने के लिए एफजीडी प्लांट बनाने के लिए जीई प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड को मेजा ऊर्जा निगम (Mela Power Plant) द्वारा सितंबर 2018 में ठेका दिया गया था।
संबंधित कंपनी द्वारा एफजीडी प्लांट-1 की कमीशनिंग सितंबर 2022 तक व एफजीडी प्लांट-2 की कमीशनिंग दिसंबर 2022 तक किया जाना प्रत्याशित था, लेकिन एफजीडी प्लांट-1 की एंटीसिपेटेड कमीशनिंग का निर्धारित समय सितंबर 2022 बीत जाने के बावजूद कमीशनिंग नहीं हो पाई।
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कमोवेश, एफजीडी प्लांट-2 की भी यही स्थिति है। हालांकि एफजीडी प्लांट-2 के एंटीसिपेड कमीशनिंग का निर्धारित समय नवंबर 2022 है, लेकिन एफजीडी प्लांट-2 का निर्माण कार्य भी इस स्तर पर नहीं है कि प्रत्याशित समय पर उसकी कमीशनिंग की जा सके।
देशभर में तीन श्रेणी के 596 पावर प्लांटः वैसे तो कार्बन उत्सर्जन के नये नियमों के पालन के लिए देश के 596 पावर प्लांटों को ए, बी, सी, तीन श्रेणियों में बांटा गया है। जिसमें ए श्रेणी में आने वाले 79, बी श्रेणी में आने वाले 68 और सी श्रेणी में आने वाले 449 पावर प्लांटों को क्रमशः दिसंबर 2022, दिसंबर 2023 और दिसंबर 2024 तक का समय कार्बन उत्सर्जन के नये नियमों का पालन कराए जाने के लिए दिया गया था, जिसे सितंबर माह में बढ़ा दिया गया है। अब पर्यावरण मंत्रालय ने ताप विद्युत संयंत्रों में प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी स्थापित करने और नये उत्सर्जन मानकों के अनुपालन की समय सीमा, सितंबर 2022 में जारी की गई एक अधिसूचना के जरिए फिर बढ़ा दी है।
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नये नियमों के पालन की समयसीमा तयः पर्यावरण मंत्रालय (Ministry of Environment) की इस अधिसूचना के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी (pollution control technology) लगाने एवं उत्सर्जन के नए नियमों के अनुपालन की समय सीमा को दो साल बढ़ाकर दिसंबर, 2024 कर दिया गया है। पहले इसकी समय सीमा दिसंबर, 2022 तक थी। वहीं अधिक प्रदूषण वाले इलाकों के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों (thermal power plants) के लिए समय सीमा को दिसंबर, 2023 से बढ़ाकर दिसंबर, 2025 कर दिया गया है।
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दो साल के लिए बढ़ाई गई समय सीमाः देश के अन्य इलाकों में स्थित ताप विद्युत संयंत्रों (thermal power plants) के लिए समय सीमा को दो साल बढ़ाकर दिसंबर, 2026 तक कर दिया गया है। पहले यह समय सीमा दिसंबर, 2024 तक ही थी। मेजा ऊर्जा निगम भी इसी श्रेणी में आता है। जिससे अब यहां पर उत्सर्जन के नये नियमों के अनुपालन की समय सीमा दिसंबर 2024 से बढ़कर दिसंबर 2026 हो गई है। ऐसी स्थिति में कार्बन उत्सर्जन के नये नियमों का पालन सुनिश्चित किए जाने के लिए मेजा ऊर्जा निगम के पास अभी 4 वर्ष से अधिक का समय है। फिर भी यदि जीई प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड एफजीडी प्लांट-1 की कमीशनिंग प्रत्याशित समय पर कर देता है तो यह उसकी और मेजा ऊर्जा निगम की विशेष उपलब्धि होती, साथ ही साथ केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए कार्बन उत्सर्जन के नए नियमों का पालन यहां निर्धारित समय से पहले शुरू हो जाता जो मेजा ऊर्जा निगम के लिए गर्व की बात होती।