शोक के माह मोहर्रम का चांद दिखा, इमामबाड़ों में सज गए अलम, ताबूत और ताजिया
अज़ाखानों व मकानों के छतों पर लहराने लगे हरे-लाल और काले रंग के परचम
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). चांद का दीदार होने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर का नया साल से शुरू हो गया। अज़ाखाने सज गए हैं। कई दिनों से चला आ रहा इमामबाड़ों की साफ-सफाई और रंग रोगन का काम पूरा हो गया है। इमामबाड़े अजादारों से गुलजार हो गए हैं। मजलिसे शुरू हो गई हैं और या हुसैन की दर्द भरी सदाएं गूंजने लगी हैं।
ग़म मनाने को माहे मोहर्रम का चांद बुधवार को दिखाई दिया। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों की गलियों, अज़ाखानों व मकानों की छतों पर लाल-हरे और काले परचम लहराने लगे हैं। अज़ाखानों व इमामबाड़ों में अक़ीदत और ऐहतेराम के साथ अलम नसब कर दिए गए। वहीं ताबूत, ताज़िया और छह माह के अली असग़र की निशानी झूला भी सजाकर इमामबाड़ों में रख दिया गया।
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महिलाओं ने सुहाग की चूड़ियां तोड़ काले लिबास पहन लिए और पुरुषों ने भी लाल- गुलाबी और पीले वस्त्र को त्याग कर काले या सादे रंगों के कपड़े धारण कर लिए हैं। दो माह और आठ दिनों तक शिया समुदाय के यहां खुशियों पर ग्रहण लग गया।
अंजुमन गुंचा-ए-क़ासिमया बख्शी बाज़ार के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि 67 दिवसीय ग़म के दिनों में न तो कहीं शादी- विवाह होगा, न ही कोई एक दूसरे को खुशी के मौक़े पर मुबारकबाद देगा। अस्करी ने बताया आज पहली मोहर्रम पर मजलिस का दौर शुरू हो जाएगा, जो देर रात तक जारी रहेगा। बख्शी बाज़ार स्थित इमामबाड़ा नज़ीर हुसैन में सबसे पहली मजलिस होगी, उसके बाद स्व. खुरशैद हुसैन में फिर स्व. ज़व्वार और स्व. अबरार के अज़ाखाना पर मजलिस होगी। वहीं रोशनबाग में इमामबाड़ा मजलूब हुसैन, क़ाज़ीगंज ताहिरा हाउस में और चक ज़ीरो रोड पर ज़ाहिद हुसैन में दिन में 11 बजे मजलिस होगी। रानीमंडी, करेली, करैलाबाग़, शाहगंज, दरियाबाद आदि सैकड़ों अज़ाखानों पर सिलसिलेवार मजलिस जारी रहेगी। यह सिलसिला लगातार देर रात तक जारी रहेगा।
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