बिसौना में अक़ीदत के साथ निकला जुलूस ए अरबईन
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). करैली के बिसौना गाँव में चेहल्लुम शोहदाए करबला के मौक़े पर जुलूस ए अरबईन अक़ीदत व ऐहतेराम के साथ निकाला गया। इमामबाड़ा जदीद बिसौना सादात में शहरयार रालवी की निज़ामत (संचालन) में नसीमुल हसन बिसौनवी ने पुरदर्द मर्सिया पढ़ा। मौलाना अली गौहर साहब क़िबला फैज़ाबादी ने अपनी तक़रीर में करबला में शहीद हुए खानदाने रिसालत और उन पर ढाए गए यज़ीदी लश्कर के ज़ुल्मों सितम की दास्ताँ बयान की। अंजुमन खुद्दामुज़्ज़हरा के नौहाख्वान हसन जाफर व अली हसन ने खुसूसी नौहा पढ़ा, जिसे सुनकर लोगों की सिसकियां बंध गईं।
अंजुमन पंजतनी जलालपुर, अंजुमन पंजतनी तुराबखानी, अंजुमन नासिरुल अज़ा बिसौना सादात, अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार इलाहहाबाद के नौहाख्वानों व मातमदारों ने जुलूस ए अरबईन में नौहों और मातम का नज़राना पेश किया। जुलूस में ताबूत अलम ज़ुलजनाह अमारी की ज़ियारत को शहर से लेकर आस-पास के कस्बों व मोहल्लों से हज़ारों अक़ीदतमंद जुटे और बोसा लेकर अक़ीदत का इज़हार करते हुए मन्नत व मुरादें मांगी।
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निकाला गया नन्हे अली असग़र का ताबूतः बख्शी बाज़ार हाता खुरशैद हुसैन मरहूम में हज़रत अली असग़र की याद में क़दीमी सालाना मजलिस आयोजित की गई। ज़ैग़म अब्बास ने मर्सिया पढ़ा तो ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा अब्बास ज़ैदी ने हज़रत इमाम हुसैन के छह माह के फर्ज़ंद हज़रत अली असग़र की शहादत का ग़मगीन व हौलनाक तज़केरा किया तो हर तरफ से आहो बुका की सदाएं गूंजने लगीं। बाद मजलिस छोटे बच्चों के कांधे पर नन्हे अली असग़र के ताबूत को देख कर हर शख्स की आँखे भर आईं। फरहान रिज़वी मछलीशहरी ने हज़रत अली असग़र की शहादत के ग़मगीन अशआरों में पिरोया हुआ नौहा पढ़ा तो लोगों ने जमकर मातम भी किया।
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करैलाबाग़ में सैय्यद अख्तर मेंहदी द्वारा शबनम नक़वी के अज़ाखाने पर सालाना मजलिस हुई, जिसमें रियाज़ मिर्ज़ा व शुजा मिर्ज़ा ने सोज़ व सलाम पढ़ा। लखनऊ के मशहूर सोज़ख्वान क़ाज़ी असद ने मर्सियाख्वानी की अंजुमन हुसैनिया क़दीम दरियाबाद के नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा। करैली में क़मर एडवोकेट के अज़ाखाने पर सालाना मजलिस में अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया ने शिरकत करते हुए नौहा पढ़ा। वहीं करैली के मस्तान मार्केट के समीप साजिद नक़वी के आवास पर सालाना मजलिस में शहंशाह सोनवी सनी हैदर ने मर्सिया पढ़ा। मौलाना सैय्यद हसन अली नजफी साहब क़िबला ने मजलिस को खेताब किया। यह जानकारी सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने दी।