असंभव को भी संभव कर देना भगवान की महिमाः सत्यम महाराज
कोइरौना/भदोही (संजय मिश्र). विकास खंड डीघ के तुलसीकला गांव में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन विंध्याचल धाम से पधारे सत्यम महाराज ने व्यासपीठ से कहा, पिता अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मण इसके पक्ष में नहीं था। बेटा अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए मंदिर आईं, तभी श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठाकर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई और नहीं कर सकता।
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महाराज ने कहा कि श्रीमद भागवत ऐसा शास्त्र है, जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि, राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। रास पंचाध्यायी में प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है। इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं को नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना होगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं।
इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी की आकर्षक झांकी प्रस्तुत की गई जिनके दर्शन करने से भक्तजन भाव विभोर हो गए। कथा श्रवण करने वालों में प्रमुख रूप से मयाशंकर पांडेय (छोटेलाल), जटाशंकर, ह्रदय, दिनेश, संतोष, राज, बच्चा, कालू, अभय, मुन्कू, लल्लू, बबलेश, जीतेंद्र, शिवमूर्ति, साहेब, डबल, साजन, लालू सिंह, दिलीप सिंह, रामकिशन, अजब, मधुकर, सुंदरम आदि उपस्थित रहे।