पूर्वांचल

प्रतियोगी छात्रों को डीआईओ ने पढ़ाया इतिहासः कहा- मेहनत का कोई तोड़ नहीं

“यूनान, मिस्र, रोमा सब मिट गए जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी”, से प्रतियोगिता में भरा जोश

भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). कालीन के लिए प्रसिद्ध भदोही में मुख्यमंत्री अभ्युदय कोचिंग के साथ-साथ ‘ग्राम ज्ञानालय’ भी प्रतियोगी छात्रों को राह दिखाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। जिलाधिकारी गौरांग राठी की पहल के रूप में शुरू किए गए 50 ‘‘ग्राम ज्ञानालय’’ में बच्चों के जुटने से गांव-गिरांव में भी शैक्षिक माहौल बदल रहा है। जिलाधिकारी का यह प्रयास निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में मील का पत्थर साबित होगा।

ग्राम ज्ञानालय और मुख्यमंत्री अभ्युदय कोचिंग सेंटर्स में विषय विशेषज्ञों व प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा समय-समय पर अध्यापन और मार्गदर्शन का कार्य़ किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को जिला सूचना अधिकारी डा. पंकज कुमार ने ग्राम ज्ञानालय व अभ्युदय के छात्र-छात्राओं को मोटिवेट करते उन्हें कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित किया। डीआईओ ने आईएएस, पीसीएस, यूजीसी नेट, सी-टेट, यूपी-टेट आदि परीक्षाओं के पाठ्यक्रम व क्वेश्चन बैंक पर रणनीतिक तैयारियों सहित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला, साथ ही इतिहास, कला एवं संस्कृति के विभिन्न आयामों से परिचित कराया।

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डा. पंकज कुमार ने छात्रों से कहा कि इस समय वह अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर खड़े हैं, जहां आप अपनी लगन, मेहनत अध्ययनशीलता से मनोवांछित परीक्षा में सफल होकर अपने जीवन को स्वर्णिम आयाम प्रदान कर सकते हैं। पढ़ने वाली मेज व सामने की दीवार पर पाठ्यक्रम को अवश्य रखें। किसी भी परीक्षा में सिलेबस, प्रीवियस ईयर क्वेश्चन बैंक व प्रैक्टिस सेट सफलता में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित रहें और अपना शत प्रतिशत फोकस करें, सफलता अवश्य मिलेगी।

डा. पंकज कुमार ने संस्कृति व सभ्यता पर प्रकाश डालते हुए दोनों के मूल अंतर को समझाया। कहा, किसी भी सभ्यता का उद्भव और विकास के साथ पतन अवश्य होता है, जबकि संस्कृति शाश्वत/सनातन रहती है। उन्होंने सनातन संस्कृति के आयामों से छात्रों को रूबरू कराया। डीआईओ ने इकबाल की प्रसिद्ध रचना – “यूनान मिस्र रोमा सब मिट गए जहां से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी”, से भारतीय संस्कृति की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

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इसके साथ ही भारतीय स्थापत्य कला की तीन शैलियों – नागर, बेसर व द्रविड़ के अंतर को बतलाते हुए नागर शैली में निर्मित गुप्तकालीन कला, चंदेल कला, बेसर शैली में निर्मित चालुक्य व होयसल के मंदिर, द्रविड़ शैली में निर्मित पल्लवों व चोलों के मंदिरों की शैलीगत विशेषताओं को रेखांकित किया।

डा. पंकज कुमार ने यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल से विभूषित अनेक मंदिरों चोल शासक राजराज का तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर, अजंता व एलोरा की गुफाओं पर प्रकाश डाला। डा. पंकज कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश के अनुपालन में मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना व ग्राम ज्ञानालय में जनपद के ग्रामीण क्षेत्र के प्रतियोगियों को रणनीतिक तैयारी व मार्गदर्शन देते हुए उन्हें उनके मनोवांछित परीक्षाओं में सफलता दिलाना है।

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