पूर्वांचलराज्य

श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अंगुली पर उठाकर इंद्र का अहंकार तोड़ाः आचार्य रविकृष्ण

भदोही. भागवत महापुराण साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। इसका श्रवण करने से दैहिक, दैविक, भौतिक ताप नष्ट होता है और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह उपदेश आचार्य रविकृष्ण महराज ने भागवत कथा के चौथे दिन श्रोताओं को दिया।

ऊंज क्षेत्र के रइयापुर में आयोजित कथा में आचार्य रविकृष्ण महराज ने कालिया नाग दमन, बंसी महात्म, गोवर्धन पूजा एवं रास महोत्सव पर चर्चा की। कहा कि जब कंस ने बहुत प्रकार से भगवान कृष्ण को मारने का प्रयास किया और सफल नहीं हुआ तो अक्रूर के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा बुला लिया, परंतु वह सफल नहीं हो पाया।

इसी प्रकार गोवर्धन पूजा की चर्चा करते हुए कहा कि सत्य एवं भक्ति का संबंध होना चाहिए। हिंदू धर्म में गाय की पूजा अवश्य होनी चाहिए, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। गाय का दूध अमृत के समान है। भगवान कृष्ण नंद गांव पहुंचे, जहां गोवर्धन के पूजा की तैयारी में 56 भोग बनाए जा रहे थे। भगवान ने इंद्र की पूजा रूकवाई तो इंद्रदेव आतंक मचाने लगे।

इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया और इंद्रदेव के अत्याचार को रोक लिया। श्रीकृष्ण ने इंद्र का अहंकार तोड़ा तब गोवर्धन पूजा कराई। कहा, इसीलिए धन एवं शरीर का अहंकार नहीं करना चाहिए।

इस मौके पर आयोजक वंशराज तिवारी, विधायक विपुल दुबे, डीघ ब्लॉक प्रभारी मनोज कुमार मिश्र, श्यामधर मिश्र, ग्राम प्रधान विनोद मिश्र, शैलेष तिवारी, नागेंद्र पांडेय, काशीनाथ मिश्र, मंजू देवी, ममता देवी, अंतिमा,  अशोक तिवारी, अमित तिवारी, विपिन मिश्र मौजूद रहे।

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