ताज़ा खबरभारत

उत्तराखंड ने रखी UCC की बुनियादः यहां पति-पत्नी के रहते दूसरी शादी होगी गैरकानूनी

The live ink desk. बुधवार (सात फरवरी, 2024) को उत्तराखंड ने देश में यूसीसी बिल (UCC Bill) की बुनियाद रख दी। भारत में यूसीसी बिल एक ऐसा मसला है, जिस पर खूब राजनीति होती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अगुवाई में यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी बिल) ध्वनिमत से सदन में पास हो गया।

सीएम धामी ने एक दिन पहले अर्थात छह फरवरी (मंगलवार) को इस बिल को विधानसभा में पेश किया था। बुधवार को सदन से पारित होने के बाद इसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मुहर लगते ही यह बिल एक कानून बन जाएगा, जिससे राज्य में सभी नागिरकों को एक समान अधिकार मिलेंगे। इस कानून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है।

उत्तराखंड विधानसभा में ध्वनिमत से यूसीसी बिल (यूनिफार्म सिविल कोड) पास होने के बाद सीएम धामी ने कहा, यूसीसी बिल सभी के हित में है। यह बिल उन माताओं, बहन-बेटियों के हित में है, जिन्हे जीवन में कई तकलीफों से गुजरना पड़ता है। यह बिल बच्चों का भी हितधारक बनेगा।

“आज का दिन उत्तराखंड के लिए बहुत विशेष दिन है। आज (सात फरवरी, 2024) देवभूमि की विधानसभा में ये विशेष विधेयक, जिसकी मांग लंबे समय से उठती रही, उसकी शुरुआत हुई है और विधानसभा में इसे पारित किया गया है। मैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन में हमें ये विधेयक उत्तराखंड की विधानसभा में पारित करने का मौका मिला
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड”

सीएम ने कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड कानून सभी केलिए समानता वाला कानून है। विधानसभा की चर्चा में चीजें स्प्ष्ट हुईं। यह कानून किसी के भी खिलाफ नहीं है।

बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी ने 2022 में विस चुनाव में यूसीसी लाने कावादा किया था। इस बिल के अस्तित्व में आ जाने के बाद कई व्यवस्थाओं में बदलाव देखने को मिलेगा। उत्तराखंड में लिव इन रिलेशन में रहने वालों को पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर छङ महीने की सजा हो सकती है। इसके अलावा पति या पत्नी के जीवित रहने पर दूसरी शादी भी गैरकानूनी मानी जाएगी।

मिलेगा समान संपत्ति का अधिकार
उत्तराखंड में यूसीसी के प्रभावी होने के पश्चात संपत्ति में एक समान अधिकार सभी बच्चों का होगा, चाहे वह बेटा हो या फिर बेटी। इसके साथ ही इसमें इस बात का भी कोई असर नहीं होगा कि वह किस श्रेणी (कैटेगरी) में आते हैं। मसलन, यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो यूनिफार्म सिविल कोड संबंधित व्यक्ति की पत्नी और बच्चों में संपत्ति के समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा व्यक्ति के माता-पिता को भी एक समान अधिकार होगा। जबकि पूर्व में यह अधिकार केवल मृतक की मां को था।

बच्चे को देना होगा अपना नाम
यूसीसी बिल के कानून बनने के बाद पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण प्रस्तुत करना तलाक का आधार नहीं हो सकेगा। लिव इन में रहने के लिए भी पंजीकरण करवाना होगा, हालांकि यह स्वघोषणापत्र जैसा होगा। इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट होगी। लिव इन में रहने के दौरान होने वाले बच्चे की जिम्मेदारी कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम देना होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button