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राजनीति के चाणक्य थे PM Narasimha Rao, 10 भाषाओं में कर सकते थे बातचीत

The live ink desk. देश की राजनीति में कुछेक राजनेताओं का नाम बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। भारत रत्न (Bharat Ratna) पीवी नरसिम्हा राव (Narasimha Rao) भी एक ऐसा ही नाम है, जिन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने 9 फरवरी, 2024 को भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की घोषणा की। Ex. PM नरसिम्हा राव को भारत की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है। वह दस भाषाओं में बातचीत कर सकते थे।

2024 में भारत सरकार ने Ex. PM नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की। नरसिम्हा राव (Narasimha Rao) ने लगातार आठ दफा चुनाव जीता और कांग्रेस पार्टी में पांच दशक से ज्यादा का समय गुजारा। वह भारत के प्रधानमंत्री बने। Narasimha Rao को भारत में आर्थिक उदारीकरण का जनक माना जाता है। विलक्षण प्रतिभा के धनी नरसिम्हा राव दस भाषाओं में बातचीत कर सकते थे।

आंध्र प्रदेश के करीमनगर में हुआ था जन्म
28 जून, 1921 को पी. रंगा राव के घर (करीमनगर, आंध्र प्रदेश) पीवी नरसिम्हा राव का जन्म हुआ था। नरसिम्हा राव ने हैदराबाद के उस्मानिया यूनिवर्सिटी, मुंबई विश्वविद्याल और नागपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। पेशे से अधिवक्ता और कृषि विशेषज्ञ रहे पीवी नरसिम्हा राव ने राजनीति में भी प्रवेश किया। साल 1962 में वह आंध्र प्रदेश सरकार में कानून व सूचना मंत्री बने। 1964 तक वह इस पद की जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद 1964 से 67 तक कानून व विधि मंत्री, 1967 में स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री, 1968 में शिक्षा मंत्री बने।

53 की आयु में की पहली विदेश यात्रा
1971 से 73 तक वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। राजनीतिक के महारथी पीवी नरसिम्हा राव ने 20 जून, 1991 से 16 मई, 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री का कार्यभार बखूबी संभाला। इतने बड़े राजनीतिक करियर के बावजूद जब उन्होंने पहली दफा विदेश की यात्रा की तो उस समय उनकी आयु 53 वर्ष की थी। जीवन के छह दशक (60 वर्ष के बाद) पूरा करने के पश्चात उन्होंने कंप्यूटर लैंग्वेज भी सीखी। देश के प्रधानमंत्री रहे नरसिम्हा राव के कार्यकाल में ही अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाया गया था।

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