The live ink desk. मंगलवार की सुबह केरल के वायनाड (Wayanad) जिले में हुए विनाशकारी भूस्खल में अब तक 143 शव रिकवर किए जा चुके हैं। पिछले 24 घंटे से अधिक समय से भारतीय सेना, एनडीआरएफ के अलावा प्रादेशिक राहत टीमें लोगों का जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। बीते 48 घंटे के दौरान यहां पर 578 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है।
भूस्खलन के साथ मूसलाधार बरसात ने यहां के लोगों और राहत-बचाव कार्य को भी प्रभावित कर रखा है। राहत कार्य में लगी टीमें प्रभावित क्षेत्रों में लगातार काम कर रही हैं। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 143 लोगों के मौत की पुष्टि की है।
लापता लोगों को खोजने केलिए सेना ने अपने विशेष स्निफर डाग को भी मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा जरूरत के अनुसार पुल बनाने का कार्य भी जोरों पर चल रहा है। सेना इस राहत बचाव कार्यों के लिए अलग-अलग स्टेशनों से राहत टुकड़ी और सामग्री भेज रही है।
वायनाड के विथिरी तालुका में मूसलाधार बरसात के दौरान अलग-अलग स्थानों पर भारी भूस्खलन की घटनाएं हुईं। भारी बरसाती पानी के साथ लैंडस्लाइड का मलबा आबादी वाली एरिया में पहुंचा और देखते ही देखते सबकुछ अपने साथ बहा ले गया। जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय ज्यादातर लोग अपने घरों में बिस्तर पर थे, इस वजह से लोगों को बचाव का भी मौका नहीं मिला।
राहत-बचाव कार्य के दौरान सीमावर्ती मलप्पुरम जिले के पोथुकल्लू इलाके के पास चलियार नदी से 25 शव और वायनाड के चूरलमाला से क्षत-विक्षत शव बरामद हुए हैं।
केरल सरकार का कहना है कि इरुवानीपुझा नदी की पहाड़ी से आए जलसैलाब ने छह किलोमीटर दूसर स्थित तीन गांवों को निगल लिया। पहली बार रात दो बजे पहाड़ से टूटकर आई चट्टानों के ढेर ने मकानों के अंदर सोए लोगों को भागने का मौका तक नहीं दिया। इस सैलाब से लोग उबर भी नहीं पाए थे कि दो घंटे बाद ही एक बार फिर पानी के साथ मलबे ने दस्तक दे दी। नदी के रास्ते में भारी मलबा जमा हो जाने के कारण नदी की दिशा ही बदल गई।
फिलहाल, आरएसएस समेत तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंचकर राहत कार्यों में हाथ बंटा रहे हैं। प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने के साथ-साथ राहत शिविरों में खाना-पानी, बिस्किट, दूध, दवा समेत अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति की जा रही है।
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा है कि भूस्खलन के दौरान इरुवानीपुझा तक फैला चूरामला पुल नष्ट हो गया है। बचाए गए लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। पिनाराई विजयन का कहना है कि मुंडक्कई, चूरलमाला और अट्टामाला में राज्य और केंद्रीय बलों का बचाव अभियान चल रहा है।