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जमीन की तलाश में सपाः ‘साइकिल’ में हवा भर पाएगा गठबंधन का पावर!

भदोही से तीन बार चुनाव जीत चुकी है भारतीय जनता पार्टी, दो बार सपा और दो बार बसपा को भी मिल चुका है मौका

भदोही (सत्येंद्र द्विवेदी/संजय सिंह). वह, सपा के सुप्रीमो रहे स्व. मुलायम सिंह यादव का दौर था, जब भदोही लोकसभा सीट (परसीमन से पहले) से साइकिल दौड़ी थी। वह भी एक नहीं दो-दो बार। अब सपा की कमान उनके बेटे अखिलेश यादव संभाल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में अखिलेश उस गठबंधन का हिस्सा हैं, जिसके तले देशभर का विपक्षी कुनबा मोदी के खिलाफ आम चुनाव लड़ रहा है।

विपक्षी गठबंधन यानी इंडी गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में भदोही से ललितेशपति त्रिपाठी (टीएमसी) को प्रत्याशी बनाया गया है। ललितेशपति त्रिपाठी के सामने भाजपा ने मझवा के मौजूदा विधायक विनोद बिंद के चुनावी रण में उतारा है। इसके साथ ही यहां बसपा के बैनर तले हरिशंकर सिंह दादा भी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं।

भदोही जनपद में वैसे तो तीन विधानसभाएं (औराई, ज्ञानपुर और भदोही) हैं। जबकि भदोही लोकसभा में भदोही जनपद की तीनों विधानसभाओं के अलावा समीपवर्ती जनपद प्रयागराज की हंडिया और प्रतापपुर को जोड़ा गया है। इस नई लोकसभा का गठन (परिसीमन) साल 2009 में हुआ था। इसके पहले तक भदोही को भदोही-मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। परिसीमन के पहले और बाद के हुए चुनावों (1996 से 2019 तक) पर नजर डालें तो यहां से तीन बार भारतीय जनता पार्टी परचम बुलंद कर चुकी है, जबकि दो बार समाजवादी पार्टी और दो बार बहुजन समाज पार्टी को जीत का सेहरा पहनने का मौका मिला।

समूचे विश्व में कालीननगरी के रूप में विख्यात भदोही आम चुनाव को लेकर चर्चा में है। काशी और प्रयाग के मध्य स्थित भदोही का इतिहास रहा है कि यहां की अवाम बाहरी लोगों को गले लगाना पसंद करती रही है।

परिसीमन के बाद के हालातों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जिले के रहने वाले गोरखनाथ पांडेय (बसपा) ने सपा के छोटेलाल बिंद को हराया था। उसके बाद 2014 में भाजपा से वीरेंद्र सिंह मस्त ने बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को हराकर भदोही लोकसभा सीट पर कब्जा किया और 2019 में डा. रमेशचंद्र बिंद भारतीय जनता पार्टी से सांसद बने।

इस बार के चुनाव में भाजपा ने डा. विनोद बिंद को अपना प्रत्याशी बनाया है। तो वहीं इंडी गठबंधन ने ललितेशपति त्रिपाठी को उतारा है। जबकि यहां बसपा ने नामांकन से महज दो दिन पहले ही मुस्लिम प्रत्याशी को हटाकर हरिशंकर सिंह उर्फ दादा चौहान को प्रत्याशी बना दिया।

वैसे तो इस चुनाव में इतिहास की तुलना बेमानी होगी, फिर भी अब तक सात बार हो चुके चुनाव में भाजपा (तीन बार की विजेता) का पलड़ा भारी है। समाजवादी पार्टी से फूलन देवी भी दो दफा भदोही (परिसीमन से पूर्व) का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।

साल 2014 के चुनाव में भदोही सीट से बाहुबली विजय मिश्र की बेटी सीमा मिश्रा ने सपा से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में वह तीसरे पायदान पर थीं। उन्हें 2,38,712 वोट (कुल मतदान का 24.30 प्रतिशत) मिले थे। जबकि 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी टॉप थ्री में भी नहीं थी। वर्ष 1998 के चुनाव में यहां से सपा दूसरे, 2004 में तीसरे और 2009 के आम चुनाव में दूसरे पायदान पर थी। गौरतलब है कि साल 1996 व 1999 के चुनाव में सपा की फूलन देवी यहां से जीत का परचम बुलंद कर चुकी हैं।

भदोही का लोकसभा चुनाव एक नजर में

साल 2014ः भाजपा        वीरेंद्र सिंह 4,03,695 मतः बसपा         राकेशधर त्रिपाठी 2,45,554 मतः सपा          सीमा मिश्रा    2,38,712 मतः जदयू         तेजबहादुर     26,995 मतः कांग्रेस        सरताज इमाम  22,573 मतः साल 2019ः भाजपा        रमेशचंद्र बिंद   510,029 मतः बसपा         रंगनाथ मिश्र   4,66,414 मतः कांग्रेस        रमाकांत यादव  25,604 मत।

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