शंकरगढ़ कस्बावासियों ने सालों से चली आ रही समस्याओं पर जताई चिंता
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). समय बदल रहा है, अब मतदाता बहुत समझदारी से काम लेता है। उसे, जहां पर अपना, अपने समाज का हित दिखेगा, वहीं पर उसका वोट भी जाएगा। कभी मूलभूत आवश्यताओं समेत अनन्य मुद्दों पर लड़े जाने वाले चुनावों में मुद्दा भी बदलता रहता है। पर, कुछ ऐसी भी समस्याएं होती हैं, जिनका निदान आजादी के बाद से अब तक नहीं हो पाया है।
समस्याओं का निदान न होने के लिए किसे और किस सरकार के कार्यकाल को दोषी माना जाए और किसे नहीं। बहरहाल, आज हम बात करेंगे इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र में आने वाली महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक शंकरगढ़ बाजार की। शंकरगढ़ वासियों ने इस चुनाव में अपनी भी समस्याएं गिनाई हैं। इनमें कुछ ऐसी हैं, जिनपर समय-समय पर काम तो हुआ, पर स्थाई समाधान नहीं हो पाया।
अधिवक्ता शरदचंद्र मिश्र कहते हैं- “यहां की कालजयी समस्या है पेयजल की। पहाड़ी पर आबाद शंकरगढ़ के लिए यह समस्या प्रत्येक वर्ष मुसीबत खड़ी करती है। कस्बावासी लोटा, डिब्बा और बाल्टी लेकर दूर-दूर चक्कर लगाते हैं। टैंकर की लाइन के पीछे लगते हैं। कभी-कभी सिर फुटव्वल का भी सामना करना पड़ता है।”
शंकरगढ़ की इस समस्या को खत्म करने के लिए अलग-अलग सरकारों ने समय-समय पर ओवरहेड टैंक की स्थापना कराई, लेकिन सिस्टम ने सरकारों की मंशा को फलीभूत नहीं होने दिया। अर्थात योजनाएं भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गईं। कहने के लिए शंकरगढ़ चारों तरफ से पेयजल योजनाओं से घिरा हुआ है, फिर भी प्यासा है।
व्यापारी नेता गोपाल दास गुप्ता का कहना है कि “40 हजार की आबादी वाले शंकरगढ़ में 18 हजार वोटर्स हैं। यहां के नौजवानों, व्यापारियों, किसानों, मजदूरों और महिलाओं की अनगिनत समस्याएं हैं, जो उनकी समस्याएं के निदान की गारंटी लेगा, वही उनका अगुवा बनेगा”।
प्रयागराज जनपद के अंतिम छोर पर स्थित शंकरगढ़ कस्बे में 1968 में जीजीआईसी की स्थापना हुई। विज्ञान वर्ग की मान्यता वाले इस स्कूल में अभी भी मैथ, फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायो के शिक्षक नियुक्त नहीं किए गए। आश्वासन था कि इसे डिग्री कालेज बनाया जाएगा, जो पूरा नहीं हुआ। तकनीकी शिक्षा के लिए यहां की युवा पीढ़ी को आज भी बाहर जाना पड़ता है।
यमुनापार व्यापार मंडल के अध्यक्ष मूलचंद्र केसरवानी और अनूप केसरवानी ने कहा कि पीएम की ‘खेलेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया’ के तहत मुरलीमनोहर जोशी ने 1993 में टाउन एरिया की छहबीघा भूमि पर स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ, जो आज तक पूरा नहीं हुआ। मोदी टू के कार्य़काल में घरौनी देने की योजना आई, लेकिन वह भी परवान नहीं चढ़ सकी।
बिना स्त्री रोग विशेषज्ञ के महिला अस्पताल
हेल्थ के लिए महिला अस्पताल तो है पर डाक्टर विहीन है। जुआरियों, शराबियों का अड्डा बन चुके इस अस्पताल में नियमित तौर पर स्त्रीरोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हुई। इसे 40 बेड का, डफरिन जैसी सुविधाओं वाला अस्पताल बनाने की मांग सालों से चली आ रही है।
वहीं सामाजिक गतिविधियों में लगे रहने वाले सतीश विश्वकर्मा व रामजतन बंसल ने कहा कि इलाके की तमाम समस्याएं हैं, उनमें एक समस्या खेतों के सिंचाई की भी है। इसके लिए भी तमाम प्रयास किए गए, पर अब तक कोई समाधान नहीं हो सका। फिलहाल, यहां पर छठवें चरण में मतदान 25 मई को है। देखना यह है कि वह कौन होगा, जिसके हिस्से में शंकरगढ़ कस्बे का 18 हजार मतदान जाएगा।
अनियमित रहती है नियमित जरूरत वाली बस सेवा
युवा नेता रोहित केसरवानी,सुजीत केसरवानी उर्फ सरताज, रतन केसरवानी और अरविंद केसरवानी ने कहा कि -वैसे तो शंकरगढ़ मुंबई रेल रूट पर है और इसके पास अपना रेलवे स्टेशन भी है, पर यहां चंद गाड़ियों का ही ठहराव होता है। ऐसे में कस्बावासियों को शहर जाने के लिए नियमित बस की सेवा नहीं है। बीच-बीच में रोडवेज की सेवा मिलती रही और बंद होती रहती है। निगम के अफसर हमेशा भ्रामक जानकारी देकर जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ शंकरगढ़ वालों को भी गुमराह करते रहते हैं।
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