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किसका होगा रेड कारपेट वेलकमः 1984 के बाद से हाशिए पर नजर आई कांग्रेस!

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). भारतीय राजनीति में कांग्रेस ने 1980 के दशक तक एकछत्र राज किया। इस दौर में पंडित जवाहरलाल नेहरू फेमिली की तीन पीढ़ियों ने भारत के सत्ता की बागडोर संभाली या फिर अप्रत्यक्ष रूप से दखल रहा। अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों के उदय होने और उनका प्रभुत्व बढ़ने के कारण कांग्रेस के एकछत्र राज पर अंकुश लगा।

क्षेत्रीय पार्टियों के बढ़ते दबदबे और चुनावी मुद्दों से राजनीतिक परिदृश्य बदलते रहे और भारतीय जनता पार्टी (पहले भारतीय जन संघ) का सत्ता से संघर्ष जारी रहा। इलाहाबाद लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का खाता साल 1996 में खुला। पहली जीत दर्ज की मुरली मनोहर जोशी ने।

36.48 फीसद हुए कुल मतदान में जोशी को 42.71 फीसद वोट मिले। जनता दल को 22.32 और बीएसपी को 20.16 फीसद वोट मिले, जो मुरलीमनोहर जोशी को मिले वोट के लगभग बराबर थे। इसके बाद 1998 के चुनाव में 47.40 फीसद लोगों ने वोटिंग की तो मुरलीमनोहर जोशी का वोट बैंक कम हुआ, सपा ने तगड़ी सेंधमारी की। सपा और बसपा ने मिलाकर कुल मतदान का 50.31 फीसद वोट झटक लिया, जबकि एकमुश्त 39.70 फीसद वोट पाकर मुरलीमनोहर जोशी रण जीतने में कामयाब रहे।

एक साल बाद यानी 1999 में फिर से हुए आम चुनाव में कुल 45.98 फीसद मतदान हुआ तो BJP से मुरलीमनोहर जोशी 33.79 फीसद वोट लगाकर हैट्रिक लगा चुके थे। जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस (Congress) ने कुल 59 फीसद वोट झटका था। इस चुनाव में कांग्रेस ने रिकवरी कीथी और तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी, जबकि सपा (Samajwadi Party) दूसरे व बसपा चौथे स्थान पर थी।

इसके बाद साल 2004 में वह दौर आया, जब मुरलीमनोहर जोशी (BJP) के विजयरथ पर सपा ने रोक लगा दी। 1998,1999 के चुनाव में लगातार दूसरे स्थान पर रहने वाली पार्टी से कुंवर रेवतीरमण सिंह चुनाव जीत चुके थे। उन्हे कुल 42.13 फीसद मतदान का 35.64 फीसद वोट प्राप्त हुआ और भाजपा 31.32 प्रतिशत वोट पाकर दूसरे व 17 फीसद वोट के साथ बसपा तीसरे स्थान पर आ गई।

2009 के चुनाव में यह क्रम बदला और मुरलीमनोहर जोशी के स्थान पर भाजपा (BJP) ने योगेश शुक्ल को टिकट दिया। नतीजा भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई। 43.41 फीसद कुल मतदान में सपा को 38.06 फीसद वोट मिले और Samajwadi Party के प्रत्याशी कुंवर रेवतीरमण सिंह को लगातार जीतने का मौका मिला। बसपा से अशोक कुमार वाजपेयी 31.72 फीसद वोट प्राप्त हुआ। इस चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी।

हालांकि, इसके बाद 2014 का दौर आया। नरेंद्र मोदी के फेस पर चुनाव लड़ा गया और भाजपा से श्यामाचरण गुप्त ने जीत दर्ज की। कुल 53.5 फीसद मतदान में भाजपा को 35.19 फीसद, सपा को 28.24 फीसद और बीएसपी को 18.18 फीसद वोट मिले। इस चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर दमदार उपस्थित दर्ज करवाई और चौथे स्थान पर रहे नंदगोपाल गुप्ता नंदी को 11.49 फीसद वोट (1,02,453 वोट) मिले।

दूसरी मोदी लहर की बात करें तो यह चुनाव सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने जीता। 2019 में कुल 51.83 फीसद वोटिंग हुई। भाजपा के वोट बैंक में जोरदार इजाफा हुआ। 2014 में 3,13,772 वोट पाकर जीतने वाली भाजपा के वोट बैंक में 20 फीसद का उछाल आया और 2019 में रीता बहुगुणा जोशी को 55.62 फीसद वोट (कुल मतदान प्रतिशत 51.83) मिले।

अब बात करते हैं कांग्रेस (Congress) की। 1984 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सिने स्टार अमिताभ बच्चन ने सर्वाधिक 68.21 फीसद वोट पाकर जीत दर्ज की थी। 84 में कुल 56.08 फीसद वोटिंग हुई थी। अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया था। इलाहाबाद सीट पर यह कांग्रेस का सुनहरा दौर था।

इसके बाद से कांग्रेस (Congress) हाशिए पर ही नजर आई है। 1988 के उपचुनाव में कांग्रेस को दूसरा, 1989 के आम चुनाव में भी दूसरा स्थान मिला। 1991 में तीसरे, 1996 और 1998 के आम चुनाव में चौथा, 1999 में तीसरा, 2004 और 2009 में चौथा, 2014 में चौथा और 2019 में तीसरे स्थान पर रही। इस दौरान जब-जब कांग्रेस के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ, उसका सारा श्रेय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को जाता है। जिन्होंने कांग्रेस को अभी तक जिंदा रखा।

2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वोट बैंक में 6.65 फीसद का इजाफा हुआ था और पिछले दो चुनावों से सपा इलाहाबाद सीट पर दूसरे स्थान पर बनी हुई है।

मौजूदा समय में इस सीट से सपा समर्थित कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी उज्ज्वल रमण सिंह चुनाव मैदान में हैं। सपा का अपना वोट बैंक है तो हाशिए पर जा चुकी कांग्रेस सेभी थोड़ी-बहुत उम्मीद बाकी है।

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