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तप रहा पत्थरों का गढ़ शंकरगढ़ः बादल आए तो उमस भी साथ लाए

कुछ दिनों तक अभी झेलनी पड़ सकती है सूरज की तपिश, प्री मानसून के नहीं आने से तपा गई ज्येष्ठ माह की गर्मी

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). सोमवार को दिनभऱ बदन जलाने के बाद मंगलवार को जब सूर्यदेय के उदय की बारी आई तो आसमान बादलों ने ढक लिया। गर्मी और उमस के बीच तेज हवाओं ने लोगों को थोड़ी राहत प्रदान की। हालांकि, आसमान पर छाए बादलों की वजह लोगों को फौरी तौर पर गर्मी से राहत जरूर मिली, पर उमस ने सारा मजा किरकिरा करदिया।

पिछले पखवाड़े भर की बात करें तो तापमान 45 से 48 डिग्री सेल्सियस के बीच गोते लगा रहा है। सोमवार को भी पारा 47 डिग्री पहुंच गया। न्यूनतम तापमान में भी बढ़ोत्तरी हुई, जिससे लोगों को रात के वक्त भी चैन नहीं मिला। पड़ोसी जनपदों प्रतापगढ़, कौशांबी और भदोही का भी यही हाल रहा। यहां भी पारा 46 डिग्री के आसपास टिका रहा।

सबसे ज्यादा खराब स्थिति यमुनापार की है, जिसका अधिकांश हिस्सा पहाड़ी है। मध्य प्रदेश के रींवा, यूपी के बांदा से सटे हुआ हिस्सा दोपहर में आग की भट्ठी की तरह तपने लगता है। दोपहर बाद इन क्षेत्रों की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा पसर जाता है।

मौसम विभाग के पूर्वानुमान की मानें तो आगामी चार-पांच दिनऐसे ही गुजरने वाले हैं। 22 जून तक मानसून सक्रिय होने की उम्मीद जताई ज रही है। मौसम के जानकारों का कहना है कि अमूमन गर्मी के अंत में प्री मानसून दस्तक दे देता है, लेकिन इस बार प्री मानसून नहीं आया। इस वजह से गर्मी के अंतिम महीने ज्येष्ठ (जेठ) ने अपना असर दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

हाल के दिनों में कई लोग हीटवेव का शिकार हुए। अस्पतालों में गर्मी के दिनों में होने वाली बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा पशु-पक्षी भी गर्मी से हलाकान हैं। हालांकि मंगलवार को एकादशी हो गई। अब जेठ माह के जाने में सिर्फ चार दिन ही बाकी है। इसके बाद आषाढ़ यानी बरसात का महीना शुरू हो जाएगा। मौसम कितना और कब तक ठंडा होगा, यह होनेवाली बरसात पर निर्भर करेगा।

फिलहाल, मंगलवार को बादलों के साए में चलने वाली हवाओं ने ज्यादा तो नहीं, फिर भी काफी राहत प्रदान की है। मौसम विभाग ने 22 जून तक हीटवेव का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में सप्ताहभर 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहने का अनुमान है।

गर्मी में एक-एक बूंद पानी के लिए हो रहा संघर्ष

भीषण गर्मी से तो किसी तरह लोगबाग अपनी सुरक्षा कर लेते हैं, लेकिन उन क्षेत्रों में संकट और गहरा है, जहां लोगों को एक-एक बूंद पानी केलिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पीने का पानी मयस्सर न होने के कारण लोगों को डिब्बा और बाल्टी लेकर काफी लंबा सफर भी तय करना पड़ रहा है। यह स्थिति जिले के यमुनापार क्षेत्र में ज्यादा देखने को मिल रही है। नगर पंचायत शंकरगढ़ की बात करें तोयहां पिछले माहभर से टैंकर से वाटर सप्लाई की जा रही है। यह, वही शंकरगढ़ है, जिसे पानी से आच्छादित करने केलिए करोड़ों रुपये पानी की परियोजनाओं पर खर्च कर दिए गए और रिजल्ट के रूप में टैंकर का पानी हीलोगों की प्यास बुझा रहा है।

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