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अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे युवाः सीएम

सीएम ने कहा- प्रदेश में प्राकृतिक खेती के निमित्त किए जा रहे प्रयासों और सुधारों के मिलने लगे सकारात्मक परिणाम

लखनऊ. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज से तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती के जिस अभियान को आगे बढ़ाया था, उसके अच्छे परिणाम प्राप्त होने लगे हैं। पहले लोगों के मन में प्राकृतिक कृषि पद्धति को लेकर संशय की स्थिति थी, लेकिन वर्तमान में इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है। हमें उत्पादों के प्राकृतिक स्वरूप को बीज से लेकर बाजार तक बनाए रखना होगा। यूपी में इसकी व्यापक संभावनाएं हैं।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग व कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्राकृतिक खेती के परामर्श कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा है। इसमें से देश के लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन किया जाता है। राज्य में पर्याप्त जल संसाधन है। हमें आवश्यकता के अनुरूप उत्पादों की क्वालिटी पर ध्यान देना होगा, ताकि हैप्पीनेस इंडेक्स की अवधारणा को जमीनी धरातल पर उतारा जा सके। इसके लिए प्रदेश में कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है।

बताया कि प्रदेश में चार राज्य कृषि विश्वविद्यालय और दो केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं। पांचवां राज्य कृषि विश्वविद्यालय बनने जा रहा है। राज्य में 89 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। इन सभी संस्थाओं, कृषि विज्ञान केंद्रों और मंडी समितियों से प्राकृतिक कृषि उत्पादों-खाद्यान्नों के सर्टिफिकेशन के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जा रहा है।

उत्पाद बाजार तक पहुंचने पर तत्काल सर्टिफिकेशन की कार्यवाही से जोड़ा जाना चाहिए। मंडी में स्टोर बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया जा चुका है। प्रदेश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों से सर्टिफिकेशन लैब को इम्प्रूव करने के लिए कहा गया है।

उन्होंने कहा, कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने में हरित क्रांति का लाभ प्राप्त हुआ है, लेकिन यह अधूरा सच है। यदि आप 17वीं और 18वीं सदी में भारत के कुछ प्रांतों में प्राकृतिक कृषि पद्धति के माध्यम से की गई खेती के उत्पादन की दरों को देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि विगत 150 वर्षों से जो पढ़ाया जा रहा है, उसमें और वास्तविक तथ्यों में क्या अंतर है। हमें इतिहास के पन्नों को पलटना पड़ेगा। जब धरती के प्राकृतिक स्वरूप में खेती-किसानी के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया गया, तो देश में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि उस समय हरित क्रांति से ज्यादा उत्पादकता थी।

हरित क्रांति के पश्चात रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग शुरू हुआ। कुछ समय के लिए हमें उत्पादन बढ़ता हुआ दिखा, लेकिन अब जीवन उसके दुष्प्रभावों का सामना कर रहा है। रासायनिक खाद स्लो-प्वाइजन के रूप में व्यक्तियों की धमनियों में प्रवेश कर रहा है। यह मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी हानिकारक साबित हो रही है।

विगत वर्षों में जनपद अमरोहा में हुई गोवंश की मृत्यु का कारण उनमें अत्यधिक मात्रा में फर्टिलाइजर का पाया जाना था। जब एक गोवंश इस केमिकल और फर्टिलाइजर के दुष्प्रभाव को बर्दाश्त करने में अक्षम है तो मनुष्य कैसे सहन कर सकता है।

सीएम ने ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की ऋषि परंपरा पौराणिक काल से ही हर भारतवासी को धरती माता के प्रति आग्रही बनाती रही है। इसका प्रतिनिधित्व करते हुए आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देने के लिए बड़े जन जागरण अभियान को आगे बढ़ाया है। वह धरती मां को बचाने के संकल्प के साथ आगे बढ़े हैं। कुरुक्षेत्र, हिमाचल प्रदेश और गुजरात इनके कार्यक्रमों का उदाहरण बने हुए हैं। योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी स्वागत किया।

सीएम ने कहा, प्रदेश में निराश्रित गो आश्रय स्थलों में 12 लाख से अधिक निराश्रित गोवंश हैं। इसमें से 11 लाख निराश्रित गोवंशों के लिए प्रदेश सरकार व्यवस्था संचालित करती है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना से किसानों को एक लाख गोवंशों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक किसान को केवल चार गोवंश अनुमन्य किए जाते हैं। प्रत्येक माह इसका वेरीफिकेशन किया जाता है। स्वस्थ और सुरक्षित गोवंश होने पर किसान को प्रत्येक महीने 1500 रुपये प्रति गोवंश उपलब्ध कराए जाते हैं।

निराश्रित गो-आश्रय स्थलों से धात्री व बच्चों के लिए दूध देने वाली गाय उपलब्ध कराई जाती है। इस परिवार को गाय देने के साथ-साथ प्रतिमाह 1500 रुपये उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। सीएम ने कहा, रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव के कारण कुछ राज्यों को कैंसर ट्रेन चलानी पड़ी। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में गरीबों को आयुष्मान भारत योजना में पांच लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हुई है। मुख्यमंत्री राहत कोष के आवेदन प्राप्त होने पर जरूरतमंद व्यक्ति को तत्काल धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। इनमें सर्वाधिक मामले कैंसर के होते हैं। आज युवा किडनी फेलियर, हार्ट डिजीज, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।

कार्यक्रम को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान नेभी संबोधित किया। सूबे के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी विचार व्यक्त किए और प्राकृतिक खेती केप्रति प्रतिबद्धता जताई। इस मौके पर कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त देवेश चतुर्वेदी, केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव डा. योगिता राणा, सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थीमौजूद रहे।

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