भदोही (संजय सिंह). आज के आधुनिक युग में जब मनुष्य कोई कार्य करता है, तो उसमें सफलता पाने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन इस जीवन का परम उद्देश्य केवल कर्म करना नहीं है, भक्ति करना भी आवश्यक है। आज का मानव समाज माया की दौड़ में इतना उलझ गया है कि वह अपने जीवन के मुख्य उद्देश्य परमात्मा की प्राप्ति को भूल चुका है।
इस उद्देश्य की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए पूरे विश्व में सत्संग कार्यक्रम किया जा रहा है। यह बातें संत रामपाल महाराज ने कही। तहसील औराई में मवैया हरदोपट्टी गांव में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में संत रामपाल महाराज ने कहा, मनुष्य जन्म और मृत्यु के बीच की दौड़ में उलझा रहता है, लेकिन असली सत्य यह है कि मृत्यु अटल है और मोक्ष ही अंतिम ठिकाना है।
उन्होंने समझाया कि तप, व्रत और तीर्थों में कुछ भी नहीं रखा है, जैसा कि वेदों में प्रमाणित किया गया है। शिक्षित समाज होने के नाते, आज शास्त्रों का अध्ययन और शास्त्र आधारित भक्ति करना अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा 84 लाख योनियों का चक्र निश्चित है।
संत रामपाल ने गीता अध्याय चार, श्लोक 34 का हवाला देते हुए कहा कि तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर तत्वज्ञान का उपदेश लेना और शास्त्रानुकूलित सतभक्ति कर मोक्ष प्राप्त करना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है, जिससे हम सतलोक को जा सकते हैं, जहां जन्म-मृत्यु, वृद्धावस्था का दुःख नहीं है। यही हमारा असली ठिकाना है।
सत्संग कार्यक्रम में सेवादार सत्येन्द्र दास, हरिनरायन दास, उदयप्रताप दास, भारतेश्वर दास, विनोद दास, रामराज दास, हरिश्चंद्र दास, रमाशंकर दास, रिया दासी, तारा दासी, विनीता दासी, कुसुम दासी आदि मौजूद रहे।