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Wayanad में देवदूत बन उतरी भारतीय सेना,महिलाओं-बच्चों को कंधे पर बैठाकर किया रेस्क्यू

The live ink desk. वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में भारतीय सेना के द्वारा चलाए जा रहे सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियान के दूसरे दिन प्रयासों को तेज कर दिया है। प्रभावित लोगों को खाद्य सामग्री, चिकित्सा सुविधा देने के साथ-साथ फंसे लोगों को निकालने की गतिविधियां निर्बाध गति से जारी हैं।

सेना के द्वारा प्रभावित नदी क्षेत्र में पुल निर्माण के अलावा तेज बहाव और लैंडस्लाइड वाले क्षेत्र के दूसरी तरफ फंसे लोगों लोगों को रेस्क्यू करने के लिए सेना के जवानों ने रस्सी के सहारे मानवीय घेरा बनाकर लोगों को निकाला। महिलाओं, बूढ़ों और बच्चों को उनके सामान के साथ कंधे पर बैठाकर निकाला जा रहा है।

सेना के जवानों ने निकाले 86 लोगों के शव

भारतीय सेना ने बताया कि 30 जुलाई की सुबह प्रशासन के अनुरोध के बाद से चिकित्सा कर्मचारियों सहित लगभग 500 कर्मियों की क्षमता वाले छह एचएडीआर कॉलम को ब्रिजिंग उपकरण और बचाव कुत्तों के साथ तैनात किया गया है। सेना द्वारा लगभग 1000 लोगों को बचाया गया है। उन्हे  चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया है। इस दौरान 86 मृतकों के शव भी बरामद किए गए है।

ब्रिगेडियर ने लिया प्रभावित क्षेत्र का जायजा

सेना ने एचएडी आर प्रयासों के समन्वय के लिए कोझीकोड में ब्रिगेडियर अर्जुन सेगन के साथ कर्नाटक और केरल उपक्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीटी मैथ्यू की अध्यक्षता में एक “कमांड और कंट्रोल सेंटर” स्थापित किया है। ब्रिगेडियर सेगन ने बुधवार को प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और बचाव अभियान के आगे के संचालन के लिए सेना की टुकड़ियों को निर्देशित किया। सैनिक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के छह किलोमीटर क्षेत्र में बचाव अभियान चला रहे हैं।

मेडिकल कोर की दो टुकड़ियां क्षेत्र में तैनात

एचएडीआर टुकड़ियों का हिस्सा बनने वाले सैनिकों को कन्नूर,  कोझीकोड और तिरुवनंतपुरम से मौके पर भेजा गया है। डीएससी सेंटर, कन्नूर और 122 इन्फैंट्री बटालियन (प्रादेशिक सेना) मद्रास, कोझीकोड से दो-दो टुकड़ियां, जिनमें कुल 225 कर्मी थे,  सबसे पहले पहुंचने वाले बचावकर्ता थे। इसके बाद एनडीआरएफ व अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर बचाव अभियान शुरू किया गया। बचाव और राहत कार्यों को तेज करने के लिए 135 कर्मियों की क्षमता वाली दो चिकित्सा टीमों सहित दो अतिरिक्त एचएडीआर टुकड़ियों को त्रिवेंद्रम से कोझीकोड ले जाया गया।

अपने उपकरणों के साथ मौके पर पहुंची सेना

केरल की राज्य सरकार ने सेना से राहत एवं बचाव कार्य में शामिल होने के लिए अनुरोध किया था। इसके प्रत्युत्तर में, मद्रास इंजीनियर ग्रुप एंड सेंटर (एमईजीएंडसेंटर) से सेना के इंजीनियर टास्क फोर्स को 123 कर्मियों की संख्या के साथ 150 फीट बेली ब्रिज, तीन जेसीबी और अन्य सहायक उपकरणों के साथ प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया है। मीपडी-चूरमाला रोड पर एक पुल का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसमें हवाई प्रयास का उपयोग कर के धारा के दूसरी ओर कुछ मिट्टी हटाने वाले उपकरणों को शामिल किया गया है।

पुल का सामान लेकर पहुंचा सी-17 विमान

इंजीनियर्स स्टोर्स डिपो, दिल्ली कैंट से 110 फीट बेली ब्रिज का एक और सेट और तीन खोज और बचाव डॉग टीमों को लेकर एक सी-17 विमान भी आगे के उपयोग के लिए कन्नूर में उतरा है। हवाई और जमीनी जांच और नागरिक प्रशासन की जरूरतों के आधार पर अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता का आकलन किया जा रहा है। मेडिकल हेल्प के लिए एएमसी, ईसीएचएस पॉलीक्लिनिक, कलपेट्टा बाढ़ संचालन इकाई की मेडिकल टीम को लगाया गया है।

दिनभर उड़ान भरते रहे सेना के हेलीकाप्टर

दिन के दौरान भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा खाद्य पदार्थ और अन्य राहत सामग्री गिराने के लिए कई उड़ानें भरीं। कटे हुए क्षेत्रों से नागरिकों को निकालने का काम भी किया गया। नौसेना विमानन परिसंपत्तियों ने एसडीआरएफ और राज्य प्रशासन के अधिकारियों के परिवहन में उचित सहायता प्रदान की। तिरुवनंतपुरम, सुलूर और तंजावुर में कई विमान अल्प सूचना पर हवाई बचाव प्रदान करने के लिए स्टैंडबाय पर हैं।

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