पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आपातकाल में यातना सहने वालों को किया याद
The live ink desk. सन 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के आज 50 साल पूरे हो गए हैं। सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन सभी लोगों का स्मरण किया, जिन्होंने आपातकाल का खुलकर विरोध किया और यातनाएं सहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा- “आज का दिन उन सभी महान पुरूषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था”। डार्क डेज आफ इमरजेंसी (Dark Days Of Emergency) हमें याद दिलाता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बुनियादी स्वतंत्रताओं को नष्ट किया और भारत के संविधान को रौंद दिया, जिसका हर भारतीय बहुत सम्मान करता है।
एक्स पर अपनी पोस्ट में पीएम ने कहा- वह इमरजेंसी (Emergency) का बहुत चुनौतीपूर्ण समय था। उन दिनों, सभी क्षेत्रों के लोग एक साथ आए और लोकतंत्र पर इस हमले का विरोध किया। उस दौरान विभिन्न लोगों के साथ काम करने के मेरे भी कई अनुभव थे।
गौरतलब है कि 18वीं लोकसभा के पहले दिन सत्र के शुरू होने के पहले भी पीएम नरेंद्र मोदी ने आपातकाल का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि 25 जून भूलने वाला दिन नहीं है। इसी दिन संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। 25 जून, 1975 को 21 महीने के लिए इमरजेंसी लागू की गई थी और 21 मार्च, 1977 तक यह चली थी। यह समय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार की मनमानी का दौर था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत केंद्र में इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा द्वारा दोपहर में पार्टी मुख्यालय में आपातकाल के विरोध में ‘डार्क डे ऑफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम को संबोधित किया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक्सपर पोस्ट करके आपातकाल को याद किया। अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा- आज के ठीक 49 साल पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का जिस तरह खुला खेल उस दौरान खेला गया, वह कई राजनीतिक दलों की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि यदि आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है तो उसका श्रेय उन लोगो को जाता है जिन्होंने लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया, जेल गए और न जाने कितनी शारीरिक और मानसिक यातना से उन्हें गुजरना पड़ा। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगी।