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ऐतिहासिक रामलीला में राम वन गमन का दृश्य देख छलके आंसू

तुलसीकला में ऐतिहासिक रामलीला का 125वां वर्ष

कोइरौना/भदोही (संजय मिश्र). शारदीय नवरात्रि का आयोजन और रामलीला का आयोजन एक दूसरे के दो पहलू हैं। दिनभर लोग माता रानी की भक्ति में लीन रहते हैं तो रात के पहर गांव-गांव होने वाली रामलीला का मंचन लोगों में भक्ति भावना का संचार कर रहा है। विकास खंड डीघ के तुलसीकला गांव आज भी सनातन परंपरा को जिंदा रखे हुए है। कोरोना काल को छोड़ दें तो यहां पर रामलीला का मंचन पिछले 125 वर्ष से अनवरत किया जा रहा है।

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तुलसीकला गांव में सनातन धर्म की अटूट कड़ी के रूप में रामलीला के मंचन में राम वन गमन का मंचन किया गया। जिसमें रामलीला के पात्रों ने जीवंत अभिनय कर दर्शकों का मन मोह लिया। रात राम वन गमन दृष्य़ देख उपस्थित दर्शकों की आंखों से अश्रुधार बहने लगा। मंथरा की कुटिल बातों में आकर महारानी कैकेई ने राजा दशरथ से श्रीराम के लिए 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए राजगद्दी का वर मांगा।

रामलीला के अगले दृश्य में नदी पार करने के लिए केवट के पास पहुंचे श्रीराम और माता जानकी के द्वारा उतराई के रूप में मुद्रिका देना और केवट संवाद देख दर्शक दीर्घा में उपस्थित लोग भाव-विह्वल हो गए। रामलीला के मंचन में पूर्व प्रधान कालू पांडेय, दिनेश पांडेय, बबलेश, ज्योति, मुखिया, बच्चा पांडेय, धीर, छोटेलाल, कवींद्र, मधुकर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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