अवध

तेरे वजूद में रच बस गई है सरदारी, शहीद हो के शहीदों का रहनुमा…

जश्ने हुसैन व जश्ने अब्बास में शायरों ने पढ़े क़सीदे

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). इस्लामिक माह शाबान की आमद के साथ जश्न का सिलसिला शुरु हो गया। कहीं जनाबे ज़ैनब की तो कहीं इमाम हुसैन व हज़रत अब्बास की यौमे विलादत पर जश्न की महफिलें गुलज़ार हो रही हैं। एक शाबान को जनाबे ज़ैनब की आमद पर जश्न की महफिलें सजीं, वहीं इमाम हुसैन व हज़रत अब्बास की यौमे विलादत पर शोअरा ने एक से बढ़कर एक अशआर पढ़कर दाद बटोरी।

करेली के इबादतखाना, दरियाबाद में मस्जिद गदा हुसैन, दरगाह हज़रत अब्बास के साथ दायरा शाह अजमल के बशारत मंज़िल में रज़ा इस्माइल सफवी व ज़िया इस्माइल सफवी की ओर से जश्ने हुसैन की महफिल में तो करेली में अब्बास गुड्डू की ओर से जश्ने सब्रो वफ़ा के मक़सद से महफिल सजाई गई। शायर रुस्तम साबरी ने पढ़ा- कोई नज़ीर इसलिए अब्बास की नहीं, अब्बास है दर अस्ल तमन्ना ए बुतूराब, कौन आ रहा है नूर की चादर  तनी है आज, सुए मदीना आंख सभी की लगी है आज।

इसी क्रम में रौनक़ सफीपुरी ने अपने तास्सुरात की इज़हार कुछ इस तरहा किया- तू है हर रुख से मोहम्मद की मोकम्मल तस्वीर, फर्क़ सीरत में न किरदार में हैं, हर एक हरफ़े जली को हुसैन कहते हैं, हयाते दीने नबी को हुसैन कहते हैं। हाशिम बांदवी ने अपने जज़्बात को इस तरहा बयान किया- क़दम रुकेंगे तो तौहीने आदमीयत है, रहे हुसैन पे चलते रहो खुदा के लिए…। नय्यर आब्दी ने पढ़ा- मर्तबा समझेगा कोई क्या भला अब्बास का, खुल्द से मिलता है जाकर रास्ता अब्बास का।

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शायर औन प्रतापगढ़ी ने पढ़ा- तेरे वजूद में रच बस गई है सरदारी, शहीद हो के शहीदों का रहनुमा है हुसैन। जबकि नजीब इलाहाबादी ने पढ़ा- अब्बास इब्ने फातहे खैबर का नाम है, अब्बास एक प्यासे समुन्दर का नाम है। इसके अलावा शायर ज़मीर भोपतपुरी, अनवार अब्बास, जावेद रिज़वी करारवी, ज़की अहसन, डा. क़मर आब्दी, अनवर कमाल, आमिरुर रिज़वी, रुस्तम साबरी, नजीब इलाहाबादी, औन प्रतापगढ़ी, हम्माद साहब, रौनक सफीपुरी, हसनैन मुस्तफाबादी, इतरत नक़वी, दानियाल दरियाबादी, जलाल सिरसिवी, अंबर वसीम, शहंशाह सोनवी, जलाल फूलपुरी ने भी अपने तास्सुरात का इज़हार किया।

बशारत मंज़िल की महफिल में डा. रिज़वान हैदर रिज़वी तो करेली के अब्बास विला में मौलाना मोहम्मद अली गौहर ने माहे शाबान की ढेरों फज़ीलत बयान की। वहीं यह भी बताया की शाबान एक ऐसा इस्लामिक माह है, जिसमें किसी भी मासूमीन की शहादत नहीं हुई। कहा, इसी माह में चौथे इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम व आखिरी इमाम मेंहदी आखिरुज़्ज़मा की यौमे पैदाइश होती है। दोनों महफिल की निज़ामत शफक़त अब्बास पाशा ने की। महफिल में रज़ा इस्माइल सफवी, ज़िया इस्माइल सफवी, अस्करी अब्बास, बाक़र नक़वी, आलिम रिज़वी, वक़ार भाई, जलाल हैदर, आग़ा मोहम्मद क़ैसर, मिर्ज़ा काज़िम अली, रिज़वान जव्वादी, हैदर अली, नय्यर आब्दी, मकसूद रिज़वी, अब्बास गुड्डू, पार्षद अनीस अहमद, ज़ुलक़रनैन आब्दी, रिज़वान अख्तर, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, आसिफ रिज़वी, ज़ामिन हसन, परवेज़ भाई, ज़फ़र भाई मौजूद रहे।

हेल्थ कैंप लगाकर बनाया गया पारिवारिक कार्डः दायरा शाह अजमल व करेली में जश्न की महफिल में नाज़ मल्टिस्पेशियलीटी हास्पिटल एवं आई हास्पिटल की ओर से एक कैंप लगाकर निःल्क परिवारिक स्वास्थ कार्ड बनाए गए, जिसमें एक साल तक प्रति रविवार स्त्री रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जनरल मेडिसीन के साथ कई प्रकार की जांच कराने की निशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही है। लगभग आठ हज़ार लोगों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। शिविर में दो सौ लोगों का मुफ्त जांच का रजिस्ट्रेशन कराकर कार्ड बनवाया गया।

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