गुरु के चयन में संशय हो तो महादेव बन सकते हैं पथप्रदर्शकः अंजनेय महराज
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). जीवन में गुरु का होना उतना ही जरूरी है, जितना हमें जीवन के लिए हवा और पानी चाहिए। गुरु ही हमें सही मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाता है। अच्छाई और बुराई में फर्क समझाता और सही रास्ते पर चलने की सीख देकर जीवन का उद्देश्य पूणता प्रदान करता है। नगर पंचायत सिरसा में शिवगंगा वाटिका में आयोजित श्रीरामकथा के पांचवें दिन कथा व्यास अंजनेय महराज ने माता जानकी और श्रीराम के विवाह के प्रसंग के खूबसूरत वर्णन किया, साथ ही साथ गुरु की महिमा का भी बखान किया।
अंजनेय महराज ने “गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय”, की व्याख्या करते हुए श्रीराम कथा सुनने आए भक्तों को भगवान का सिपाही करार दिया। कहा कि हमें हिंदू धर्म में गुरु बनाना अति आवश्यक है। अगर, गुरु के चयन में कोई संशय हो तो भगवान भोलेनाथ को ही गुरु बना सकते हैं, लेकिन हम सनातन धर्म में बिना गुरु के ज्ञान व भगवान की प्राप्ति नहीं कर सकते।
कथा के माध्यम से पांचवे दिन पूर्ण वृंद जगत जननी के विवाह का मनमोहक स्वरूप दिखाया गया। श्रीराम और जानकी के विवाह में पांव पूजाने (पवपुजी) की रस्म भी निभाई गई, जिसमें सभी महिलाओं, पुरुष ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके बाद प्रसाद स्वरूप लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया। इस कथा में रमेशचंद्र सेठ, संजय सेठ, राजीव केशरी, गुड्डू अग्रवाल, कमलेश अग्रवाल, लवकुश, शोभित के साथ सिरसा नगर पंचायत की सैकड़ों माताएं, बहनें और युवा शामिल हुए। सनातन जन जागरण सेवा समिति के बैनर तले आयोजित श्रीराम कथा का आयोजन 15 अप्रैल से किया जा रहा है। इसका समापन 21 अप्रैल को विधिवत हवन-पूजन और प्रसाद वितरण के साथ किया जाएगा।