2000 के नोट को चलन से बाहर करना गरीबों के पैसे की बर्बादीः विनय कुशवाहा
दो हजार की नोट की छपाई और वापसी पर निर्णय लेने वाले पर चले देशद्रोह का मुकदमा
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा 2000 रुपये की नोट को चलन से बाहर करने के निर्णय पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल रही हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता विनय कुशवाहा ने भी आरबीआई के इस निर्णय की निंदा की है। कुशवाहा ने कहा यह निर्णय जनहित में नहीं हैं, क्योंकि नोटबंदी के बाद 2000 रुपये की नोट छपाने का निर्णय मोदी सरकार ने ही लिया था और आज मोदी सरकार में ही 2000 रुपये के नोट की वापसी का भी निर्णय लिया गया है।
विनय कुशवाहा ने कहा कि ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार को यहबताना होगा कि उस समय लिया गया निर्णय गलत था कि आज लिया गया निर्णय। क्योंकि दोनों तो सही नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहाकि जिस देश में आज भी दो वक्त की रोटी के लिए लोगों को जदोजहद करनी पर रही हो, वहां इस तरह पैसे की बर्बादी जायज नहीं है।
पूर्व प्रवक्ता ने कहा कि कर्नाटक हार की चर्चा न हो, मंहगाई, बेरोजगारी की बात न हो, देश की आम जनता 2000 रुपये के नोट में ही उलझी रहे, इसीलिए यह सब ड्रामा किया गया।
विनय कुशवाहा ने कहा नोट बदलने की समय सीमा अभी सितंबर तक है, फिर इसे दिसंबर तक बढ़ा दिया जाएगा और उसके बाद लोकसभा चुनाव में मैने काला धन बाहर निकाला का नारा चलेगा, तो जब पहली बार नोटबंदी हुई थी, तो उस समय काला धन क्यों नहीं निकला। कहा कि पहली नोटबंदी पूरी तरह से फेल साबित हुई थी। पूरा बैकिंग सिस्टम अब दो हजार के नोट बदले में लग जाएगा, बाकी काम पीछे हो जाएंगे, उद्योग धंधों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
सपा प्रवक्ता ने कहा कि गरीब देश के लोग किस तरह इस भीषण मंहगाई में अपने खूब पसीने की मेहनत से सरकार को टैक्स के रूप में राजस्व दे रहे हैं और सरकार का तानाशाही रवैया उस पैसे को बर्बाद कर रहा है। विनय कुशवाहा ने कहा कि 2000 रुपये की नोट की छपाई और वापसी का निर्णय लेने वाले पर चले देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए।