अवध

आठवीं माहे मोहर्रम: दश्ते ग़ुरबत में मेरा साथ न छोड़ो भैया

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). माहे मोहर्रम (Muharram) की आठवीं को लश्करे हुसैनी के अलमदार हज़रत अब्बास की शुजात व बहादुरी और जंगे करबला का दर्द अंगेज़ मंज़र का वाकेया मजलिस में बयान किया गया। चक ज़ीरो रोड स्थित इमामबाड़ा डिप्यूटी ज़ाहिद हुसैन में अशरे की आठवीं मजलिस को मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर रिज़वी साहब क़िब्ला ने परचम- ए-अब्बास और और बच्चों की प्यास का तज़केरा किया। मजलिस की शुरुआत मंज़र अल हिंदी की सोज़ख्वानी से हुई। दर्जनों अलम के साथ ज़ुलजनाह भी निकाला गया। अंजुमन हैदरिया के नौहाख्वान हसन रिज़वी व साथियों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा तो हर ओर से या हुसैन, या अब्बास की गूंज सुनाई देने लगी।

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इमामबाड़ा सफदर अली बेग से अकीदत के साथ निकला ऐतिहासिक दुलदुल का जुलूस

वहीं दरियाबाद से आठवीं मोहर्रम (Muharram) का साठ वर्ष पुराना जुलूस निकाला गया। मौलाना आमिरुर रिज़वी ने शहादत का ग़मगीन तज़केरा किया। अंजुमन नक़विया के नौहाख्वान शाहरुक़ शबी हसन ने रौनक़ सफीपुरी का कलाम पढ़ा। जुलूस मस्जिद इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम जब पहुंचा तो अंजुमन नक़विया के सदस्यों ने तेज़ धार की छूरुयों से लैस ज़ंजीरों से पुश्तज़नी की। जुलूस देर रात दरगाह हज़रत अब्बास पहुंच कर संपन्न हुआ। आयोजक शबीह आब्दी ने मातमदारों व जुलूस में शामिल लोगों का शुक्रिया अदा किया।

दस्तरख्वान सजाकर हुई मौला अब्बास की नज़्रः माहे मोहर्रम की आठवीं हज़रत अब्बास से मंसूब होने पर आज दरियाबाद, रानीमंडी, करेली, करैलाबाग़, बख्शी बाज़ार, दायरा शाह अजमल, शाहगंज, चक ज़ीरो रोड सहित अन्य मोहल्लों में दिनभर नज़रो नियाज़ का दौर चला। खिचड़ा, बिरयानी, कोरमा नांद, कबाब पराठा, खीर, हलवा, मिठाई के साथ शर्बत पर हज़रत अब्बास व कर्बला के शोहदा की नज़्र दिलाई गई। लोगों ने अक़ीदत का इज़हार करते हुए जहां नज़्र चखी तो वहीं रोज़ी, बरकत, अमन-चैन, बीमारी से निजात और रिज़्क़े हलाल की दुआ मांगी गई।

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मीरगंज से निकलेगा दुलदुल व अलम का जुलूसः अंजुमन गुंचा-ए-क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि माहे मोहर्रम की नवीं को (28 जुलाई) को रात साढ़े आठ बजे मीरगंज स्थित इमामबाड़ा स्व. रज़ी अस्करी से दुलदुल व अलम का जुलूस निकाला जाएगा। अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा क़दीम दरियाबाद व अंजुमन अब्बासिया रानीमंडी नौहों और मातम की सदा बुलंद करते हुए मीरगंज से लोकनाथ चौराहा, कोतवाली चड्ढा रोड होते हुए रानीमंडी के इमामबाड़ा आग़ा महमूद पर देर रात जुलूस समाप्त होगा।

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