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माफिया ब्रदर्स हत्याकांडः न्यायिक जांच रिपोर्ट में यूपी पुलिस और राज्य बेदाग

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). 15 अप्रैल, 2023 को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में हुई माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की हत्या की जांच कर रहे न्यायिक आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय आयोग की जांच रिपोर्ट ने इस हत्याकांड में यूपी पुलिस की किसीभी तरह कीभूमिका से इंकार कर दिया है।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक माफिया पूर्व सांसद अतीक अहमद और पूर्व विधायक अशरफ की हत्या में राज्य व पुलिस की कोई भूमिका नहीं थी। यह घटना ऐसी थी, जिसे टालना संभव नहीं था। जांच के दौरान राज्य व पुलिस का कोई संबंध सामने नहीं आया।

विधानसभा के पटल पर रखी गई जांच रिपोर्ट कोतैयार करने में 87 गवाहों के बयान लिए गए और तमाम सीसीटीवी फुटेज, वीडियो फुटेज खंगाले गए। घटनास्थल पर बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौजूद थे। टीवी पर लाइव चल रहा था, ऐसे में यह सब पुलिस के लिए करना असंभव था। घटना के बाद भी सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों प्रतिक्रिया सामान्य थी। कोई अलग रिएक्शन नहीं दिखा। यह पूरी घटना महज नौ सेकेंड के अंतराल में घट गई,

न्यायिक जांच आयोग ने रिपोर्ट में कहा है कि अतीक और अशरफ को जेल से यहां ले जाने के दौरान भी नियमावली से अधिक सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए थे। पुलिस रिमांड के दौरान भी दोनों की सुरक्षा के लिए 21 पुलिसकर्मी लगाए गए थे।

दोनों मौकों पर अलग-अलग टीमों को लगाया गया था। रिमांड के दौरान अतीक और अशरफ को बेचैनी और सांस लेने में समस्या थी, जिसकी जांच के लिए चिकित्सक की सलाह पर नियमित जांच करवाई जा रही थी। आयोग ने जांच के निष्कर्ष में मीडिया की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया है।

आयोग ने लिखा है कि अतीक और अशरफ की गतिविधियों पर नजर रखने और अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए मीडिया ने संयम का परिचय नहीं दिया। अतीक और अशरफ ने भी मीडिया को खूब उकसाया। दोनों को जेल से लाए जाने के दौरान भी लगातार मीडिया साथ रही। इस दौरान अतीक व अशरफ मीडिया से बात करते रहे।

14 और 15 अप्रैल 2023 को कॉल्विन अस्पताल में मीडिया ने अतीक और अशरफ से लगातार बातचीत की। 15 अप्रैल को जब दोनों गेट नंबर दो से अंदर जा रहे थे, तो मीडिया माइक उनके चेहरे के ठीक सामने थी। कैमरों की फ्लैश लाइट चमक रही थी। पुलिस कर्मी चाहकर भी मीडिया को दूर नहीं कर पाए। इसी दौरान असली मीडियाकर्मियों के बीच में घुसे नकली मीडिया कर्मियों ने घटना को अंजाम दे दिया।

आयोग के मुताबिक, घटना के समय पर पुलिस कर्मियों की प्रतिक्रियाएं प्राकृतिक अर्थात सामान्य थीं। महज नौ सेकेंड की अवधि में हुई घटना के दौरान पुलिसकर्मियों की कोशिश से यह स्पष्ट है कि हत्या के प्रतिकार में तीनों हमलावरों पर गोली न चलाने का निर्णय सही था।

आयोग की रिपोर्ट में लिखा गया है कि तीनों हमलावरों ने स्वयं को मीडिया कर्मी बताकर वास्तविक मीडिया कर्मियों की उपस्थिति में अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी, जिसका लाइव टेलीकास्ट हुआ। तीनों हमलावरों ने जांच के दौरान पुलिस को बताया भी था कि उन लोगों ने फेमश होने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया है।

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